वक्त के साथ परिवर्तन होना प्रकृति का नियम है. समय बदला, परिवेश बदली, सोच बदले तथा व्यापार करने का जरिया भी बदला. आज बाजारीकरण, पूंजी की कृत्रिमता, विज्ञापन, चकाचौंध आदि व्यवसाय का अहम किरदार हो गया है, जो ग्राहकों को न केवल अपनी गिरफ्त में ले रहा है, बल्कि उन्हें जरूरत के सामान के लिए माॅल पर आश्रित कर दिया है.
अब ग्राहक छोटी-छोटी दुकानों के बदले माॅल में सामान खरीदना ज्यादा उपयोगी समझते हैं. ऐसे में लघु उद्योग, हस्त उद्योग, छोटे-छोटे व्यापारी तथा लघु पूंजी वाले दुकानदारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा होने लगा है. इस संकट से न केवल शहर, बल्कि गांव भी कुप्रभावित होने लगा है. जिसके पास पूंजी है, आज वही व्यापार में सफल है. ऑनलाइन शाॅपिंग ने भी लघु उद्योगों को व्यापारियों को काफी कुप्रभावित किया है.
सत्यम भारती, वनद्वार (बेगूसराय)