क्या फायदा ऐसे नगर निगम का जब हर साल बरसात में शहर के विभिन्न हिस्सों में लोग एक -एक किलोमीटर की लंबी कीचड़भरी सड़कों को पैदल और गाड़ी से पार करने की जद्दोजहद करते हैं. अब पता नहीं वार्ड पार्षद की क्या मजबूरी होती है कि वे सड़क बनवाना तो दूर, क्षेत्र में लोगों की इस व्यथा को देखने तक नहीं आते.
चुनाव के समय तो हर दिन मोहल्ले का चक्कर काटते फिरते थे, लेकिन अब हमारे इलाके से वे ऐसे गायब हुए हैं कि लोग अब उनकी सूरत तक भूलने लगे हैं. वार्ड पार्षद महोदय से फोन पर संपर्क कर इस समस्या का निदान कराने के आग्रह पर उनकी ओर से जवाब मिलता है कि फंड की कमी है. लेकिन जनता तो यही समङोगी कि उसका कर्तव्य वोट देना भर रह गया है, अब उस वोट से जीतनेवाला उनकी परवाह करे या न करे, उसकी मर्जी!
संजय साहनी, एदलहातू, रांची