इराक में जो अस्थिर हालात हैं, उनका जल्द से जल्द शांत होना जरूरी है. यह सिर्फ तीन हजार भारतीय नागरिकों की जिंदगी का सवाल नहीं, बल्किउन सभी देशों के निवासियों के हित से जुड़ा है, जिनकी अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मापदंडों से हर क्षण प्रभावित होती है.
हालात बदलने के लिए स्थायी सामाधान की कोशिश न सिर्फ वहां की सरकार को, बल्कि तमाम लोकतांत्रिक देशों के नुमाइंदों को करनी चाहिए. समस्या के मूल में झांक कर देखें, तो इराक में शिया-सुन्नी समुदायों का झगड़ा बरसों पुराना है. सद्दाम के जाने के बाद शिया समुदाय मजबूत हुआ.
यही घुटन दोनों पक्षों को एक-दूसरे के खिलाफ ले गयी. ऐसे में शांति के पक्षधर देशों को भारत के साथ मिल कर सऊदी अरब सरकार पर दबाव बनाना चाहिए, क्योंकि सऊदी राज परिवार इसलामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया को समझाने की हैसियत रखता है.
सुबोध चौधरी, हटिया