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गिर रहा मानवता का स्तर
पूरी दुनिया में तेजी से आगे बढ़ने की होड़ लगी हुई है. लोग डिजिटल हो रहे हैं. पहले जो काम एक माह में होता था, आज चंद दिनों में ही हो जाता है. साक्षरता दर बढ़ रही है. पहले की अपेक्षा ज्यादा लोग पढ़-लिख रहे हैं. इस हिसाब से अच्छे लोगों की संख्या भी बढ़नी […]
पूरी दुनिया में तेजी से आगे बढ़ने की होड़ लगी हुई है. लोग डिजिटल हो रहे हैं. पहले जो काम एक माह में होता था, आज चंद दिनों में ही हो जाता है. साक्षरता दर बढ़ रही है. पहले की अपेक्षा ज्यादा लोग पढ़-लिख रहे हैं.
इस हिसाब से अच्छे लोगों की संख्या भी बढ़नी चाहिए, इंसानों में एक-दूसरे की मदद करने की भावना पहले से ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन हालत बिल्कुल इसके विपरीत हैं. लोगों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की जंग-सी छिड़ी हुई है या यूं कहें कि एक-दूसरे को नीचे दिखाने कि होड़ लगी हुई है. दिखावे की संस्कृति फल-फूल रही है. किसी पर भरोसा करना मुश्किल-सा हो गया है.
मानवता का स्तर इतनी तेजी से नीचे जा रहा है कि किसी पर भरोसा नहीं होता. आज के लोग दूसरों में अच्छाई कम, बुराई ज्यादा ढूंढते हैं. कुछेक बड़े अफसर भी जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने की जगह अपनी झोली भरने में व्यस्त हैं. दुख होता है कि इस हालत को बदलने की दिशा में सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही.
उत्सव रंजन, नीमा, हजारीबाग
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