जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से कहा हैं कि रमजान के पाक महीने में आतंकवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन नहीं चलाये जाएं, जिसे केंद्र ने मान लिया हैं. यह एक समझदारी भरी पहल होती, अगर ऐसा ही पाकिस्तान के तरफ से भी होता. पर पाकिस्तान की तरफ से हुई हालिया गोलीबारी से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता.
उल्टे यह आतंकियों के लिए सुनहरा मौका ही होगा, जिसमें वे कम-से- कम खतरे में होंगे. राजनीतिक पार्टियां निर्णय तो ले लेती हैं, अगर कुछ गलत हुआ, तो उसका खमियाजा हमारे सैनिकों और जनता को उठाना पड़ता हैं. कही इस निर्णय पर यही बात तो लागू नहीं न होगी? केंद्र और राज्य सरकारों को पाकिस्तान का रवैया देखकर इस पर पुनर्विचार करना चाहिए .
सीमा साही , बोकारो