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बिजली की चोरी
कुछ खबरें, खबरों से आगे होती हैं, जिनमें हमारी मानसिकता और प्रशासनिक सिस्टम का घालमेल साफ दिखाई देता है. बिजली चोरी दिन के उजाले में होनेवाली वह काली करतूत है, जिससे रात जगमगाती है. जब रखवालों पर ही उंगली उठ जाये, तो फिर दोष किसे दिया जायेगा? सिस्टम का यह राग कि ‘दरोगा जी से […]
कुछ खबरें, खबरों से आगे होती हैं, जिनमें हमारी मानसिकता और प्रशासनिक सिस्टम का घालमेल साफ दिखाई देता है. बिजली चोरी दिन के उजाले में होनेवाली वह काली करतूत है, जिससे रात जगमगाती है.
जब रखवालों पर ही उंगली उठ जाये, तो फिर दोष किसे दिया जायेगा? सिस्टम का यह राग कि ‘दरोगा जी से कहियो सिपहिया करे चोरी’ गाहे-बगाहे सुनाई पड़ ही जाता है. बिजली कर्मचारी, थाने और सरकारी दफ्तर तक ने बिजली के तारों को हूकिंग फ्री नहीं छोड़ा है.
कहानी भले ही जमशेदपुर की हो, मगर सूबे का शायद ही कोई हिस्सा हो, जो ऐसी कहानियों से मुक्त हो. इन खबरों को पढ़ कर यह फैसला करना कितना आसान है कि बिजली ही क्यों, भ्रष्टाचार की हर कड़ी सिस्टम से जा मिलती है. वैसे यह बात पक्की है कि जब तक हम नहीं बदलेंगे, सिस्टम नहीं बदल सकता, क्योंकि सिस्टम हम से ही तो शुरू होता है और हम पर ही खत्म.
एमके मिश्रा, रांची
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