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विकास कछुए की चाल से धीमी

पहले और आज की भाजपा सरकारों में फर्क यही है कि पहले लोग खामोश रहते थे. अब लोग ढिंढोरा पीटते हैं. सबकुछ प्रचार एवं इवेंट मैनेजमेंट पर निर्भर है. लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट में पहले दिन सुबह नौ बजते 900 एमओयू पर हस्ताक्षर हो गये. तीन लाख करोड़ का पूंजी निवेश भी […]

पहले और आज की भाजपा सरकारों में फर्क यही है कि पहले लोग खामोश रहते थे. अब लोग ढिंढोरा पीटते हैं. सबकुछ प्रचार एवं इवेंट मैनेजमेंट पर निर्भर है. लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट में पहले दिन सुबह नौ बजते 900 एमओयू पर हस्ताक्षर हो गये. तीन लाख करोड़ का पूंजी निवेश भी हो गया. शाम होते ही यह राशि बढ़कर सवा चार लाख करोड़ से भी अधिक हो गयी.
इतना ही नहीं राज्य सरकार ने और एमओयू स्वीकार नहीं किये क्योंकि उद्योगों के लिए जमीन बची ही नहीं. इसी तरह से झारखंड में मोमेंटम झारखंड, असम में एडवांटेज असम, महाराष्ट्र में मैग्नेटिक महाराष्ट्र और गुजरात में वाइब्रेंट गुजरात तो हर दूसरे साल होता ही है. सरकार बोलती तो है कि उसके विकास की गति तेज है, मगर धरातल पर कछुए की चाल से भी धीमी है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

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