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व्यवस्था का भूचाल
सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी दुखद मगर संभवत: अवश्यंभावी घटना के बाद इतना कुछ खुल के सामने आ गया है कि हर जागरूक नागरिक कुछ सोचने और बोलने पर मजबूर है. पूरे देश में अब इस समय दो ही तरह के विचार हैं: (1) बेईमानी जो कुछ भी होता है उसे छोड़ दिया जाये, नहीं तो […]
सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी दुखद मगर संभवत: अवश्यंभावी घटना के बाद इतना कुछ खुल के सामने आ गया है कि हर जागरूक नागरिक कुछ सोचने और बोलने पर मजबूर है. पूरे देश में अब इस समय दो ही तरह के विचार हैं: (1) बेईमानी जो कुछ भी होता है उसे छोड़ दिया जाये, नहीं तो बहुत बदनामी हो जायेगी और व्यवस्था हिल जायेगी.
(2) बेईमानी को हर हाल में रोका जाये, इससे जितनी भी बदनामी हो उसे सुनना और सहना होगा. बेईमानी और बदनामी, दोनों से एक साथ बच पाना अब संभव नहीं है, अत: हमें यह कठिन निर्णय लेना होगा कि बेईमानी और बदनामी में से किस से पहले बचा जाये.
डॉ हुमायूं अहमद, रांची
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