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देश के बैंकिंग सेक्टर के मोर्चे से ग्राहकों के लिए अच्छी खबर आयी है. कई बैंकों की असेट लायबिलिटी (परिसंपत्ति देनदारी) कमिटियां अगले कुछ दिनों में बैठक करनेवाली हैं. जानकारों का मानना है कि बैठक में कर्ज पर ब्याज दर घटाने का फैसला हो सकता है. बड़े बैंक अगर उधारी पर ब्याज दर घटाते हैं, […]

देश के बैंकिंग सेक्टर के मोर्चे से ग्राहकों के लिए अच्छी खबर आयी है. कई बैंकों की असेट लायबिलिटी (परिसंपत्ति देनदारी) कमिटियां अगले कुछ दिनों में बैठक करनेवाली हैं. जानकारों का मानना है कि बैठक में कर्ज पर ब्याज दर घटाने का फैसला हो सकता है. बड़े बैंक अगर उधारी पर ब्याज दर घटाते हैं, तो अर्थव्यवस्था में सेवा और उत्पादों की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में अपेक्षित तेजी आ सकती है. बड़े बैंकों के सामने ब्याज दर घटाने की चुनौती भारतीय स्टेट बैंक के हाल के एक फैसले से पैदा हुई है. तैंतीस लाख करोड़ की बैलेंस शीटवाला स्टेट बैंक दुनिया के 50 बड़े बैंकों में शुमार है और भारत के बैंकिंग सेक्टर का अगुवा माना जाता है.
ज्यादातर बैंक इस पहल को अपने लिए एक संकेत के तौर पर देखते हैं. स्टेट बैंक ने नये साल के पहले दिन अपने बेस रेट को 30 बेसिस प्वाॅइंट घटा दिया. बैंक की इस पहल उसके उधारी लेनेवाले 80 लाख से ज्यादा इकाइयों/व्यक्तियों को फायदा होगा. स्टेट बैंक ने इससे पहले पिछले साल सितंबर में बेस रेट पांच बेसिस प्वाॅइंट कम किया था. हालिया कमी के बाद स्टेट बैंक का बेस रेट 8.65 प्रतिशत हो गया है, जो फिलहाल सबसे कम बेस रेट है. इससे बड़े बैंकों पर ब्याज दर घटाने का दबाव बन गया है.
उल्लेखनीय है कि बैंकों की दर में एकरूपता नहीं है और दरों का मौजूदा दायरा 8.85 से 9.35 फीसदी के बीच है. ग्राहकों को अपनी तरफ खींचने के लिए इन बैंकों को ब्याज दर में कमी करनी होगी, क्योंकि ऋण बाजार में प्रतिस्पर्द्धा है. बीते साल नवंबर महीने में पूरे दस माह बाद स्टेट बैंक ने कोष की सीमांत लागत पर आधारित ऋण ब्याज दर में कटौती करके आवास ऋण और वाहन ऋण पर ब्याज दर कम किया था. उस समय आवास ऋण पर इस बैंक की ब्याज दर बाजार में सबसे कम थी. कुछ बड़े बैंकों को प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने के लिएऐसे ही कदम उठाने पड़े थे. बाजार के खुलेपन की कुछ अच्छी बातों में एक है कि उसका स्वभाव यथासंभव खुद को दुरुस्त करने का होता है.
इसकी वजह है, बाजार में अनेक प्रतिस्पर्द्धियों की मौजूदगी. टिके रहने और तुलनात्मक रूप से लाभ की स्थिति बनाये रखने के लिए बाजार का हर कारोबारी चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक उसकी तरफ आयें और जो ग्राहक उसने पहले से बना रखे हैं, वे किसी दूसरे की तरफ न जायें. यह सोच बाजार के हर उम्मीदवार को अपने सौदे की दर ग्राहक के लिए आकर्षक बनाये रखने के लिए तैयार करती है.
बैंकों से मिलनेवाले उधार पर ब्याज दर घटता है, तो यह अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिहाज से शुभ संकेत होगा, क्योंकि ग्राहक बचत से अन्य उत्पाद और सेवाओं की खरीद कर सकेगा. ऐसे में व्यापार-व्यवसाय में तेजी आने की संभावना मजबूत होगी. बैंकिंग सेक्टर में सुधार और ग्राहकों के भरोसे को बढ़ाने की दिशा में किये जा रहे अन्य उपायों के साथ ब्याज दरों में कमी को नये साल का अच्छा तोहफा माना जा सकता है.

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