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जेएनयू में ”टैंक” !
जेएनयू एक यूनिवर्सिटी ही नहीं एक ब्रांड भी है. किसकी नजर लग गयी कि अचानक जेएनयू कैंपस में टैंक रखने की मांग उठने लगी. कुछ लोगों का मानना है कि सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक स्वरूप ‘टैंक’ रखा जायेगा. लेकिन जनाब यह यूनिवर्सिटी है, कोई ‘वॉर मेमोरियल’ नहीं. बेशक देश के सैनिक सम्मानित हों, […]
जेएनयू एक यूनिवर्सिटी ही नहीं एक ब्रांड भी है. किसकी नजर लग गयी कि अचानक जेएनयू कैंपस में टैंक रखने की मांग उठने लगी. कुछ लोगों का मानना है कि सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक स्वरूप ‘टैंक’ रखा जायेगा.
लेकिन जनाब यह यूनिवर्सिटी है, कोई ‘वॉर मेमोरियल’ नहीं. बेशक देश के सैनिक सम्मानित हों, मगर सम्मान के नाम पर यह कदम कतई उचित नहीं. सैनिकों को सम्मान देते वक्त हम भूल जाते हैं कि देश के किसानों की भूमिका भी अहम है. यह सच है कि यूनिवर्सिटी परिसर को राजनीति के नाम पर कुछ शरारती तत्वों ने दूषित करने का बीड़ा उठा रखा है. मगर जेएनयू में टैंक रखना राष्ट्रवाद की पहचान नहीं बन सकती. उपकुलपति महोदय की भावना चाहे जितनी भी साफ हो, विवाद के अंकुर तो फूटेंगे ही.
एमके मिश्रा, रातू, रांची
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