अदूरदर्शी प्रधानमंत्री और उनकी विदेश नीति
कई लोग इस्रराइल को सच्चा दोस्त बता रहे हैं. इस्रराइल तो दोस्ती दिखायेगा ही और इसका स्वागत करेगा ही क्योंकि उसे तो बैठे बिठाये एक गुटनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश की मान्यता मिल गयी है. ऐसा नहीं कि पूर्व के प्रधानमंत्री वहां जा नहीं सकते थे बल्कि उनमें इतनी दूरदर्शिता थी कि वो देख सके कि इस्रराइल […]
कई लोग इस्रराइल को सच्चा दोस्त बता रहे हैं. इस्रराइल तो दोस्ती दिखायेगा ही और इसका स्वागत करेगा ही क्योंकि उसे तो बैठे बिठाये एक गुटनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश की मान्यता मिल गयी है. ऐसा नहीं कि पूर्व के प्रधानमंत्री वहां जा नहीं सकते थे बल्कि उनमें इतनी दूरदर्शिता थी कि वो देख सके कि इस्रराइल और अमेरिका से दोस्ती बढ़ाना, अपने घने मित्र रूस से और पड़ोसी चीन से दूरी बढ़ाने के बराबर है. इसकी झलक सीमा पर दिख भी रही है. ये रूस और चीन ही हैं, जो अमेरिका की चौधराहट को अब तक रोक कर रखे हैं, नहीं तो अमेरिका पूरी दुनिया को लीबिया, सीरिया और इराक बना दे.
रणजीत, इमेल से
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