पटना
निर्माण में देरी से दोगुनी हो गयी लागत
पटना : राज्य में जमीन अधिग्रहण बाधित होने से सड़क व पुल निर्माण में देरी के साथ ही लागत भी बढ़ी है. नतीजा अन्य राज्यों में राष्ट्रीय उच्च पथ विकास परियोजना के तहत फेज सात व आठ के काम हो रहे हैं, वहीं बिहार में फेज तीन का काम भी अटका पड़ा है. पटना-बक्सर, पटना-डोभी, बख्तियारपुर-खगड़िया फोरलेन सहित अन्य महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण की गति सुस्त है.
पटना-बक्सर फोरलेन के निर्माण की प्रक्रिया 10 साल पहले शुरू हुई थी. पर जमीन नहीं मिलने से 2012 में चयनित एजेंसी गैमन इंडिया ने तीन साल बाद काम से मना कर दिया था. इसके बाद सितंबर, 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने आरा की सभा में इसके निर्माण कार्य का शिलान्यास किया. कांट्रैक्टर का चयन हुआ, पर जमीन नहीं मिलने से उसे साल भर इंतजार करना पड़ा. यह तीन भागों (पटना से कोइलवर, कोइलवर से भोजपुर व भोजपुर से बक्सर) में बनाना है. अब भी भोजपुर से बक्सर पार्ट में काम शुरू नहीं हो सका है.
पटना-बिहटा के बीच जमीन की समस्या को लेकर शिवाला से बिहटा के बीच एलिवेटेड रोड बनेगा. विलंब होने से इसकी लागत लगभग दोगुनी हो गयी है. अब लगभग 2100 करोड़ खर्च होंगे. बख्तियारपुर-खगड़िया फोरलेन के लिए चौथी बार टेंडर निकाल कर कांट्रैक्टर का चयन मार्च, 2016 में किया गया. इस फोरलेन में बख्तियारपुर, अथमलगोला, बाढ़, पंडारक, मोकामा और घोसवरी अंचलों के 39 गांवों में 587़ 36 एकड़ भूमि के लिए 531.88 करोड़ रुपये किसानों को देने हैं. 425़ 03 करोड़ रुपये का आवंटन हो चुका है. इनमें से 409़ 74 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं. अब भी अमीन के पास 31 और कानूनगो के स्तर पर चार आवेदन लंबित हैं. 127 लंबे पटना-डोभी फोरलेन के लिए हैदराबाद की कंपनी आईएलएंड एफएस के साथ दिसंबर, 2014 में एग्रीमेंट हुआ.
काम पूरा होने की अवधि तीन साल थी. एजेंसी ने डोभी साइड में काम शुरू किया था. बाद में गया बाइपास के पास जमीन मुआवजा को लेकर लोगों ने काम बाधित कर दिया. इसके बाद जहानाबाद में जमीन समस्या को लेकर काम में बाधा आयी. पांच साल से इसका काम किसी-न-किसी तरह बाधित है. पटना-डोभी एनएच 83 फोरलेन में अब भी अमीन के पास 127 और कानूनगो के पास पांच आवेदन पत्र लंबित हैं. गंगा पर बख्तियारपुर-ताजपुर के बीच बन रहे फोरलेन पुल में जमीन अधिग्रहण को लेकर विलंब हुआ है.
साढ़े पांच किमी लंबे पुल का काम 2011 में शुरू हुआ था. 2016 में इसे पूरा होना था. पर अब तक 60% काम ही पूरा हुआ है. नतीजा लागत लगभग 300 करोड़ बढ़ गयी. हाजीपुर-मुजफ्फरपुर फोरलेन व हाजीपुर-छपरा एनएच का टेंडर 2008 में हुआ था. दोनों का निर्माण 2013 तक पूरा होना था. लेकिन अब तक काम अधूरा है.
पीपरा कोठी-रक्सौल एनएच का टेंडर 2010 में हुआ था. 2014 तक इसे पूरा होना था. बिहार में नेपाल सीमा से सटे इलाके में 552 किमी टू लेन सड़क निर्माण में देरी होने से लगभग तीन हजार करोड़ लागत बढ़ गयीहै. समय पर जमीन नहीं मिलने से जमीन अधिग्रहण के लिए लिए राज्य सरकार को दो हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त देने पड़े.
भागलपुर
जिले में तीन अहम परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण का पेच देरी का कारण बन रहा है. इनमें सबसे अहम एनएच-80 के समानांतर बननेवाले मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन, शहर से गुजरने वाले बाइपास व घाेरघट पुल का एप्रोच पथ शामिल हैं.
मुंगेर-मिजौचौकी फोरलेन: मुंगेर से मिर्जाचौकी तक बनने वाले फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण में पेच कायम है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की चेतावनी के बाद डीएम प्रणव कुमार के नेतृत्व में इसका काम तेज हुआ. 2775 किसानों की करीब 1279 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है.
मुंगेर की तरफ जमीन अधिग्रहण का काम अंतिम चरण में है. पर यहां अब तक नक्शा के आधार पर रैयत की भी पहचान नहीं हुई. हाल में मुंगेर-मिर्जाचौकी फोरलेन के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जमीन के ब्योरा का नक्शा सौंपा है.
स्थायी बाईपास: इसमें अभी 155 मीटर का पेच बरकरार है, जिसके कारण योजना अधूरी है. सभी जगह रास्ता व पुल बन गये हैं, मगर 155 मीटर का निर्माण नहीं होने से बाईपास चालू नहीं हो सकेगा. इस 155 मीटर को लेकर एनएच मोड में अधिग्रहण की प्रक्रिया पिछले दिनों शुरू हुई.
घोरघट
पुल: इस पुल के एप्रोच पथ के लिए भागलपुर की तरफ काम अधूरा है. पिछले दिनों डीएम के साथ एनएच पदाधिकारी ने स्थल निरीक्षण किया है, जिसके बाद काम में तेजी आयी है.
मोतिहारी
भूमि अधिग्रहण नहीं होने की वजह से जिले की कई परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं. हाजीपुर-सुगौली रेललाइन परियोजना भू-अर्जन के पेच में 10 वर्षों से लंबित है. इसके लिए कुल 769.715 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है. वहींमोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय 136 एकड़ भूमि बनकट व फुरसतपुर में चिह्नित की गयी है.
ये परियोजनाएं हैं लंबित
एनएच-28 व एसएच-104 का चौड़ीकरण, भारत-नेपाल सीमा पथ निर्माण, हाजीपुर-सुगौली रेललाइन, महात्मा गांधी केंद्रीय विवि आदि.
मुजफ्फरपुर
करोड़ों के पुल बन कर तैयार पर एप्रोच रोड का पता नहीं
मुजफ्फरपुर जिले के सात बड़े पुल एप्रोच रोड (संपर्क पथ ) नहीं होने के कारण चालू नहीं हो पाये हैं. संपर्क पथ के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है. यदि ये पुल चालू हो जाते तो हजारों की आबादी को आवागमन में सुविधा होती. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के वरीय परियोजना अभियंता ने जिला भू- अर्जन पदाधिकारी को संपर्क पथ के लिए सतत लीज से जमीन उपलब्ध कराने के लिए भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र एवं मूल्यांकन रिपोर्ट देने को कहा है.
इन स्थानों पर चालू नहीं हो पाया पुल
मड़वन अंचल के देवरिया में आरसीसी पुल का निर्माण पूरा हो गया है. लेकिन संपर्क पथ के लिए अधिगृहीत की गयी जमीन में से चार भू- धारी का मुआवजा भुगतान नहीं हुआ है. लिहाजा संपर्क पथ नहीं बन सका है.
मोतीपुर में अंजना
कोट एवं भरकुरवा घाट के बीच बूढ़ी गंडक नदी पर पहुंच पथ व पुल का निर्माण पूरा हो गया है. संपर्क पथ के लिए भूमि का अधिग्रहण भी हुआ है. लेकिन जमीन मालिकों को मुआवजा भुगतान नहीं हुआ है
मुशहरी में
आथर घाट पुल के भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं होने के कारण संपर्क पथ का निर्माण नहीं हो रहा है. जमीन मालिकों को मुआवजा का भुगतान नहीं हुआ है.
बूढ़ी गंडक नदी पर जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज के निकट (अखाड़ा घाट के समा-नांतर) बन रहा आर- सीसी पुल के संपर्क पथ के लिए जमीन का रकबा सत्यापन हो गया है. लेकिन, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त हुआ है.
बोचहां में आथर घाट स्थित बूढ़ी गंडक पर पहुंच पथ समेत पुल के संपर्क पथ में भूमि अर्जन का मामला फंसा हुआ है.
बोचहा में ही एक और पुल है, जिसका संपर्क पथ नहीं बना है.
मीनापुर कोदरिया घाट मेंबूढ़ी गंडक नदी बने
पुल पर संपर्क
पथ नहीं बना है. दरअसल इस परियोजना में मोतीपुर एवं मीनापुर अंचल के क्षेत्र में आता है. दोनों अंचलों से भूमि सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिलने से भूमि अर्जन में बाधा आ रही है.
पटना-डाेभी फोरलेन का भूमि अधिग्रहण पूरा नहीं
गया जिले में भूमि अधिग्रहण के
कारण कई प्रोजेक्ट लंबित पड़े हैं. डोभी-पटना फोरलेन के निर्माण कार्य के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित कामकाज 30 जून तक पूरा कर लेना था. लेकिन, यह कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है. जीटी रोड (नेशनल हाइवे- दो) को सिक्स लेन करने की योजना है. औरंगाबाद से बरवाअड्डा तक का प्रोजेक्ट है. 2016 से ही भूमि अधिग्रहण करने का कामकाज शुरू किया गया है. लेकिन, अब भी पूरा नहीं हुआ है.गया शहर के कोशडिहरा के पास बनाये जा रहे बिहार प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान की जमीन को अधिग्रहण करने का भी मामला लंबित चल रहा है.
भूमि अधिग्रहण
जापान के सहयोग से नेशनल हाइवे-82 पर गया से बिहारशरीफ भाया राजगीर को फोरलेन करने की योजना है. लेकिन, गया जिले की सीमा में स्थित कईया से जमुआवां तक भूमि अधिग्रहण अब भी अधूरा है. साथ ही इसी सड़क पर मानपुर में मेहता पेट्रोल पंप से ओटीए के पांच नंबर गेट तक भूमि अधिग्रहण का काम अब तक शुरू नहीं किया गया है. बंधुआ-पैमार के पास फ्लाईओवर के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला लंबित है.
जमीन अधिग्रहण तेजी से कर रही सरकार : मंत्री
पीएम प्रोजेक्ट के अलावा राज्य की सड़क परियोजनाओं के लिए भी जमीन अधिग्रहण हो रहा है. पीएम पैकेज में सड़क व पुल की 82 परियोजनाओं में 24 का काम एनएचएआई व शेष 58 का काम पथ निर्माण विभाग की एनएच विंग द्वारा होना है. निर्माण में तेजी लाने के लिए जमीन अधिग्रहण में राज्य सरकार ने प्रशासनिक व्यय की राशि 20% से घटाकर 15% कर दी है. इसके अलावा यूटिलिटी शिफ्टिंग में विद्युत प्रभार की राशि भी 15% से घटा कर 2़ 5% कर दी गयी है.
सीतामढ़ी
2015 से ही लंबित है एप्रोच पथ का निर्माण
सीतामढ़ी. जिले में एप्रोच पथ के अभाव में पुलों के चालू नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है. बेलसंड प्रखंड के बसौल गांव के पास एक पुल का एप्रोच पथ लंबित है. वह भी 2015 से ही. इस पुल चालू होने पर क्षेत्र के लोगों का मोतिहारी से सीधा संपर्क हो जायेगा. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अनुसार इंडो-नेपाल सड़क में कन्हौली से सुरसंड तक 17 पुल-पुलिया बने हैं. इनमें चार-पांच में एप्रोच पथ नहीं बन सका है. इसी प्रकार बेलसंड में चंदौली घाट-बेलसंड मीनापुर का काम चालू है. अप्रैल 2019 तक इसे पूरा होने का लक्ष्य है. बागमती नदी में पानी आने के कारण पिलर का काम बंद है. मेहसौल रेलवे गुमटी के एप्रोच पथ के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
