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भाभा एटॉमिक के लिए एचइसी बनायेगा रेडिएशन ग्लास प्लेट

खुशखबरी. बार्क, सीजीसीआर व एचइसी के बीच होगा समझौता राजेश झा रांची : चंद्रयान के लिए मोबाइल लांचिंग पैड, इओटी क्रेन सहित अन्य उपकरण सफलतापूर्वक बनाने के बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने एक बार फिर एचइसी पर भरोसा जताया है. बार्क ने एचइसी को रेडिएशन सिलडिंग विंडो ग्लास प्लेट बनाने का प्रस्ताव दिया […]

खुशखबरी. बार्क, सीजीसीआर व एचइसी के बीच होगा समझौता
राजेश झा
रांची : चंद्रयान के लिए मोबाइल लांचिंग पैड, इओटी क्रेन सहित अन्य उपकरण सफलतापूर्वक बनाने के बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने एक बार फिर एचइसी पर भरोसा जताया है. बार्क ने एचइसी को रेडिएशन सिलडिंग विंडो ग्लास प्लेट बनाने का प्रस्ताव दिया है. इस बाबत एचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष ने बताया कि एचइसी के लिए रेडिएशन ग्लास बनाने का प्रस्ताव मील का पत्थर साबित होगा. श्री घोष ने बताया कि एचइसी रेडिएशन सिलडिंग विंडो ग्लास बनायेगा. इसके लिए, बार्क, एचइसी व सेंटर ग्लास एंड सिरेमिक रिसर्च (सीजीसीआर, कोलकाता) के बीच एमओयू होगा. इसके लिए बार्क ने एचइसी को प्रस्ताव दिया है. एचइसी प्रबंधन द्वारा इस पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है. इस माह के अंत तक एमओयू होने की संभावना है.
रेडिएशन ग्लास का प्रयोग न्यूक्लियर प्लांट में होता है. ग्लास का निर्माण देश में नहीं होता है. ग्लास का आयात अभी रूसी कंपनी से भारत करता है, जो सालाना 1000 करोड़ रुपये का है. ग्लास का लैब टेस्ट सीजीसीआर, कोलकाता ने सफलतापूर्वक किया है. लैब में बड़े स्तर पर ग्लास का निर्माण नहीं किया जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक बार्क चाहता है कि एचइसी ग्लास का निर्माण बड़े स्तर पर करे. रेडिएशन ग्लास बनाने में लीड ओक्साइड, सोडियम ओक्साइड, पोटासियम ओक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है. एचइसी में जो ग्लास बनेगा, उसकी थिकनेश 100 मिलीमीटर व लंबाई-चौड़ाई 400 गुणा 400 मिलीमीटर होगी. जो ऑर्डर के अनुसार से बढ़ाया भी जा सकती है.
यह सब कार्य बार्क की निगरानी में होगा. बार्क ने इसके लिए एचइसी में निवेश करने का भी प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव 100 करोड़ रुपये का है. इसमें 75% राशि बार्क देगा तथा 25% राशि एचइसी को खर्च करना होगा. इस 25% राशि में एचइसी को प्लांट के जगह भी मुहैया करना शामिल है.
श्री घोष ने कहा कि एचइसी के लिए रेडिएशन ग्लास बनाने का कार्य नया व चुनौतीपूर्ण है. एचइसी के कर्मचारियों में क्षमता है कि वह इस तरह के जटिल कार्य सफलतापूर्वक कर सकता है. उन्होंने कहा कि एचइसी में रेडिएशन ग्लास बनने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी तथा देश की विभिन्न कंपनियों को आसानी से रेडिएशन ग्लास उपलब्ध होगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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