रांची: भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने 2001 से 2016 के बीच हुए 19694.78 करोड़ रुपये के खर्च पर आपत्ति जतायी है. पर लोक लेखा समिति (पीएसी) ने सीएजी की आपत्ति पर चुप्पी साध रखी है.
सीएजी की इन आपत्तियों को लेकर लोक लेखा समिति की एक भी बैठक नहीं हुई. सीएजी के आंकड़ों के अनुसार, विधानसभा में 2001-16 की अवधि में पेश की गयी रिपोर्ट में विभिन्न प्रकार की योजनाओं से संबंधित समीक्षा (रिव्यू) के 84 मामले एेसे हैं, जिनके खर्च पर सवाल उठाये गये हैं.
योजनाओं व खर्च का होता है ऑडिट
संवैधानिक प्रावधानों के तहत सीएजी राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं सहित सभी प्रकार के खर्चों का ऑडिट करता है. वित्तीय अनियमितता सामने आने और इस पर संबंधित विभाग के जवाब से असंतुष्ट होने के बाद इसकी रिपोर्ट हर साल विधानसभा में पेश करता है. विधानसभा में रिपोर्ट पेश होने के बाद इन वित्तीय अनियमितताओं पर लोक लेखा समिति विचार करती है. सरकार और एजी का पक्ष सुनने के बाद समिति अंतिम निर्णय करती है. सरकार का जवाब संतोषजनक होने पर आपत्तियों को रद्द कर दिया जाता है. सरकार का जवाब संतोषप्रद नहीं होता है, तो समिति संबंधित मामले में दोषी कर्मचारी या अधिकारी के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करने की अनुशंसा करती है.
इन आपत्तियों पर पीएसी में नहीं हुआ विचार (राशि करोड़ में)
राशि विभाग
826.63 स्वास्थ्य शिक्षा
व परिवार कल्याण
1678.5 पथ निर्माण
1487.04 वन पर्यावरण
13.95 आवास बोर्ड
104.51 मंत्रिमंडल निर्वाचन
111.95 वित्त विभाग
2745.59 कृषि विभाग
933.29 गृह विभाग
1871.71 मानव संसाधन
1.6 उद्योग विभाग
35.42 राजस्व विभाग
2895.47 ग्रामीण विकास
461.15 कल्याण विभाग
103.89 भवन निर्माण
1421.62 पेयजल व स्वच्छता
24.05 जल संसाधन
842.35 समाज कल्याण
726.61 पंचायती राज
3.55 श्रम नियोजन
927.74 खाद्य आपूर्ति
69.89 नगर विकास
6.49 फिशरी
5.7 सूचना तकनीक
84.98 विज्ञान प्रावैधिकी
70.66 ऊर्जा
61.48 आपदा प्रबंधन
1760.24 मंत्रिमंडल निगरानी
50.93 हजारीबाग का ऑडिट

