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CM ने दिया ‘लालच भारत छोड़ो’ का नारा, कहा, भागलपुर में 250 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा

कार्रवाई : पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नया खुलासा करते हुए कहा कि भागलपुर में सरकारी खजाने के पैसे को काफी तेजी से फर्जी व्यवसाय के माध्यम से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा रहा है. यह छोटा-मोटा मामला नहीं, बल्कि 250 से अधिक करोड़ का फर्जीवाड़ा है. फिलहाल यह केवल एक जिले का […]

कार्रवाई :
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक नया खुलासा करते हुए कहा कि भागलपुर में सरकारी खजाने के पैसे को काफी तेजी से फर्जी व्यवसाय के माध्यम से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा रहा है. यह छोटा-मोटा मामला नहीं, बल्कि 250 से अधिक करोड़ का फर्जीवाड़ा है.
फिलहाल यह केवल एक जिले का मामला है. इसकी जांच जारी है और जल्द ही इसके नतीजे सामने आयेंगे. साथ ही उन्होंने बालू माफिया पर भी हमला बोला. वे बुधवार को पटना के ज्ञान भवन में बिहार पृथ्वी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने ‘लालच भारत छोड़ो’ का नारा दिया. सीएम ने कहा कि बालू माफिया को जितना बालू खोदने का टेंडर मिलता है, उससे ज्यादा बालू निकालते हैं. इसमें धंधेबाजी हो रही है. यदि इसके खनन की सीमा दो मीटर या एक मीटर होती है, तो वे उससे ज्यादा खुदाई करते हैं. इसकी निगरानी करने वाले भी उनसे मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में बहुत घोटालेबाज हो गये हैं. पता नहीं ये कहां-कहां से आ गये हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे महात्मा गांधी ने नौ अगस्त को कहा था कि ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’, वैसे ही आपलोग भी कहिए ‘लालच भारत छोड़ो’. इसका कारण यह है कि पृथ्वी हमारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, लेकिन लालच को पूरा करने में सक्षम नहीं है. लालच में पड़ कर इसका दोहन करना खतरनाक है. वहीं, लालची प्रवृत्ति समाज से दूर होगी, तो यहां खुशहाली, प्रेम और भाईचारा का विकास होगा.
गाद का समाधान जल प्रवाह से संभव
गंगा में गाद की समस्या को गंभीर बताते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इसके प्रबंधन पर अध्ययन किया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकार काम कर रही है. एक कमेटी बनायी गयीहै. इसके समाधान के बारे में उन्होंने कहा कि हमारी नजर में जल प्रवाह द्वारा ही गाद का समाधान हो सकता है.
नदी किनारे ऑर्गेनिक खेती
नीतीश कुमार ने कहा कि एग्रीकल्चर रोड मैप में ऑर्गेनिक खेती पर प्रमुखता से काम होगा. यह नदी के किनारे की जायेगी. कचरा और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी अब नदियों में नहीं डाला जायेगा, बल्कि उसे सिंचाई के उपयोग किया जायेगा. वहीं राजधानी की सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को गोशाला में रखने का पटना के डीएम को निर्देश दिया है. उनके मूत्र से कीटनाशक बनाया जायेगा, जिससे फसलों को फायदा होगा.
इस साल के अंत तक 15 फीसदी हरित पट्टी
उन्होंने कहा कि जब बिहार से झारखंड अलग हुआ, तो यहां की हरित पट्टी 9% रह गयी थी. इसके बाद यहां के लोगों की जरूरतों के आधार पर इसे 17% करने का लक्ष्य रखा गया. इसके लिए 24 करोड़ पौधे लगाने का निर्णय लिया गया.
इनमें से अब तक करीब 18 करोड़ पौधे लग चुके हैं. इस साल के अंत तक प्रदेश की हरित पट्टी 15% हो जायेगी. आने वाले समय में शेष दो फीसदी का लक्ष्य भी पूरा कर लेंगे. उन्होंने अपील की कि हर आदमी कम-से-कम एक पौधा लगाये और उसकी सेवा करे. वन विभाग सभी को पौधे दे रहा है. ऐसा होने पर बिहार में हरित आवरण की कमी नहीं होगी और यहां हरित क्रांति आ जायेगी.
आपदा पर हो रहा काम
सीएम ने कहा कि आपदा पर बहुत काम हो रहा है. इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं हो सकती. खासकर भूकंप आने से पहले सूचना मिलना मुश्किल है, लेकिन ऐसी तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे कि ठनका गिरने से आधा घंटा पहले इसकी जानकारी मिल जायेगी और इससे प्रभावित होने वाले इलाके के लोगों को सूचना दे दी जायेगी. वहीं आपदा के बारे में लोगों को जागरुक किया जा रहा है, जिससे कि ऐसी घटना होने पर नुकसान को कम किया जा सकेगा.
चौथी कक्षा में पहली बार पहनी थी चप्पल
सीएम ने बढ़ती भौतिक जरूरतों पर कहा कि मैंने चौथी कक्षा में जाने के बाद पहली बार हवाई चप्पल पहनी थी. अब जो बच्चे एसी में पढ़ेंगे, वे बड़े होकर क्या करेंगे? आज अमीरों ने घर में एसी लगाया है. कार में भी एसी. और तो और स्कूल में भी एसी हो गये हैं. ये बच्चे बड़ा होकर आइएएस व आइपीएस अधिकारी बनना चाहते हैं. लेकिन, आइएएस और आइपीएस अधिकारी जितना काम करते हैं, वो तो एसी भी भूल जाते हैं.
जांच को हेलीकॉप्टर से पहुंची टीम, अब तक गबन की राशि 295 करोड़ पहुंची
भू-अर्जन कार्यालय के Rs 270 करोड़ चले गये सृजन के खाते में
भागलपुर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड और बैंकों द्वारा गबन की गयी सरकारी राशि बढ़ कर लगभग 295 करोड़ हो गयी है. मंगलवार को इंडियन बैंक की मिलीभगत से सृजन के खाते में फर्जी तरीके से जमा की गयी राशि में 10.26 करोड़ के गबन की बात सामने आयी थी. बुधवार को एक और गबन का मामला सामने आया.
पता चला है कि भू-अर्जन विभाग के खाते से 270 करोड़ रुपये सृजन के खाते में बैंक की मिलीभगत से ट्रांसफर कर दिये गये. इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा की आरपी रोड स्थित शाखा से जिला नजारत के खाते से 14.39 करोड़ रुपये गायब हैं. यानी कुल मिला कर यह गबन लगभग 295 करोड़ का हो गया है. इस संबंध में डीएम के निर्देश पर कोतवाली थाने में बुधवार को भी भू-अर्जन पदाधिकारी व नाजिर की शिकायत पर सृजन, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ोदा पर दो और मामले दर्ज किये गये.
उधर मुख्यमंत्री के निर्देश पर मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के आइजी जेएस गंगवार के नेतृत्व में विशेष टीम हेलीकॉप्टर से बुधवार की दोपहर भागलपुर पहुंची. सर्किट हाउस में मामले की जांच शुरू हुई और देर रात तक सृजन के मैनेजर व कर्मी और बैंक अधिकारियों से पूछताछ की गयी.
सृजन की कई महिला पदाधिकारियों से भी पूछताछ की गयी. उनसे सृजन में बैठकी करने वालों के नाम भी पूछे गये. इस दौरान भागलपुर जोनल आइजी सुशील मानसिंह खोपड़े, रेंज डीआइजी विकास वैभव, डीएम आदेश तितरमारे, एसएसपी मनोज कुमार, भागलपुर जिले में पदस्थापित कहलगांव डीएसपी रामानंद कौशल, लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी राजेश सिंह प्रभाकर, सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर और कई अन्य पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहे.
योजनाओं के पैसे जिला ट्रेजरी एकाउंट से निकाल कर ट्रांसफर होते थे सृजन के खाते में
पटना : भागलपुर में सरकारी योजनाओं के पैसे जिला ट्रेजरी एकाउंट से निकाल कर सरकार के शॉर्ट टर्म एकाउंट में ट्रांसफर किये जाते थे, ताकि योजनावार समय-समय पर इससे रुपये निकाले जा सकें.
लेकिन, पिछले तीन-चार महीने से इन खातों के लिए निकाले गये दर्जनों सरकारी चेक बाउंस या डिजऑनर होने लगे, तब पूरे मामले का खुलासा हुआ. अब तक की जांच के आधार पर इस मामले में तीन एफआइआर दर्ज हो चुकी है. इसके अनुसार, तीन जिला ट्रेजरी एकाउंट से करोड़ों रुपये छह निजी बैंक एकाउंट में ट्रांसफर हुए हैं, जो सृजन एनजीओ के ही हैं
ये सभी एकाउंट इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के हैं. यह गड़बड़ी वर्ष 2008-09 से ही चली आ रही थी. इसके तहत भागलपुर जिले में भी अन्य जिलों की तरह ही करीब सभी योजनाओं के रुपये जिला ट्रेजरी खाते में ट्रांसफर किये जाते थे. इनमें भू-अर्जन, नगर विकास, समाज कल्याण समेत अन्य विभागों की योजनाएं शामिल हैं.
फिर इन रुपयों को कुछ-कुछ मात्रा में निकाल कर ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स समेत कुछ अन्य बैंकों में मौजूद सरकारी शॉर्ट टर्म एकाउंट में ट्रांसफर होते थे, ताकि ठेकेदार या अन्य स्तर पर योजनाओं के रुपये खर्च किये जा सके. लेकिन, ये रुपये इन एकाउंट से फर्जी हस्ताक्षर या अन्य तरीके से एनजीओ के निजी एकाउंट में ट्रांसफर हो जाते थे. रुपये को धीरे-धीरे कई चरणों में ट्रांसफर किया जाता था, ताकि यह चालाकी किसी के सामने नहीं आये.
मनोरमा की मौत के बाद उजागर हुआ मामला
सृजन एनजीओ की संचालिका मनोरमा देवी की मौत फरवरी, 2017 में हो गयी. इसके बाद से अचानक सरकारी एकाउंट्स से विभिन्न योजना मद में पेमेंट के लिए काटे गये सभी चेक बाउंस होने लगे. शुरुआत में एक-दो चेक बाउंस हुए, लेकिन जब सभी चेक बाउंस होने लगे, तब यह मामला उजागर हुआ.
पता चला कि शॉर्ट टर्म एकाउंट में जमा सभी रुपये किसी निजी एनजीओ के बैंक खाते में ट्रांसफर हो गये हैं और यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है. शुरुआती जांच में अब तक यह मामला लगभग 295 करोड़ का सामने आ चुका है. इसके 500 करोड़ के आसपास के पहुंचने की भी आशंका जतायी जा रही है.
इन सवालों के तलाशे जा रहे जवाब
– आखिर मनोरमा देवी की मौत के बाद ही यह मामला क्यों उजागर हुआ. चेक पहले बाउंस नहीं होते थे. मनोरमा की मौत के बाद ही चेक कैसे बाउंस होने लगे.
– यह घोटाला बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. इसमें किस-किस रैंक के बैंक अधिकारी शामिल हैं.- पूरे मामले में सरकारी महकमे के अधिकारियों पर भी उंगली उठना लाजमी है. ऐसे में किस रैंक के अधिकारी या कर्मचारी इसमें शामिल हैं. सरकारी ट्रेजरी की भूमिका कहां तक इससे जुड़ी हुई है.
– वर्ष 2008 से यह गड़बड़ी चली आ रही है. नौ साल में दर्जनों डीएम वहां रहे, लेकिन किसी की पकड़ में यह कैसे नहीं आया.
– घोटाले के करोड़ रुपये का क्या हुआ, इनका निवेश कहां और किन-किन क्षेत्राें में किया गया हैं. इसमें बड़े राजदार कौन-कौन शामिल हैं.
मामले की खुली जांच कराएं सीएम : लालू
पटना. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि भागलपुर में अवैध निकासी मामले की सीएम खुली जांच कराएं. सारा सच सामने आना चाहिए. दोषी जो भी हो, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
बालू मािफया को िमल रहा था सहयोग
पटना. जिस बालू माफिया सुभाष प्रसाद यादव ने राबड़ी देवी के तीन फ्लैट खरीदे हैं, उसे अवैध बालू खनन में प्रशासन, पुलिस के अफसरों का सहयोग मिल रहा था़ इसका जिक्र पटना के पूर्व डीआइजी शालीन ने अपनी रिपोर्ट में किया है.

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