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एक दशक से बिहार की विकास दर 10 प्रतिशत : उपमुख्यमंत्री

पटना : ‘सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फिनांस, आद्री’ की ओर से स्थानीय होटल में आयोजित ‘पब्लिक फिनांसः थ्योरी, प्रैक्टिस एंड चैलेंजेज’ पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वित्त आयोग व एफआरबीएम मानकों पर कुशल वित्तीय प्रबंधन से बिहार की […]

पटना : ‘सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फिनांस, आद्री’ की ओर से स्थानीय होटल में आयोजित ‘पब्लिक फिनांसः थ्योरी, प्रैक्टिस एंड चैलेंजेज’ पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वित्त आयोग व एफआरबीएम मानकों पर कुशल वित्तीय प्रबंधन से बिहार की विकास दर राष्ट्रीय औसत 7 की तुलना में पिछले एक दशक से 10 प्रतिशत बनी हुई है. बजट आकार 2005-06 के 26,328.67 करोड़ से 7 गुना बढ़ कर 2018-19 में 1,76,990 करोड़ हो गया है. राजकोषीय घाटे को 3 फीसदी तक सीमित रखने में सफलता मिली है. स्थापना व्यय में जहां मात्र 4 गुना वहीं विकास कार्यों के लिए योजना व्यय में 15 गुना तथा राजस्व संग्रह में 7 गुना वृद्धि हुई है. प्रति व्यक्ति आय,साक्षरता, बिजली, स्वास्थ्य सेवा, हवाई यात्रा, खाद्यान्न उत्पादन और कृषि की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि व बीपीएल की संख्या व प्रजनन दर में कमी आयी है.

सुशील मोदी ने कहा कि तेंदुलकर पद्धति के आधार पर बिहार में 2004-05 की तुलना में बीपीएल की संख्या 54.4 से घट कर 2011-12 में 33.7 प्रतिशत हो गयी. साक्षरता दर में राष्ट्रीय स्तर पर 9.2 जबकि बिहार में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. प्रति व्यक्ति आय 2004-05 की 21,174 से बढ़ कर 2016-17 में 38,546 हो गयी है. उन्होंने कहा, चावल उत्पादन में 2005-06 की तुलना में 2017-18 में 135 प्रतिशत, गेहूं में 116 व मक्का में 184 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. हवाई उड़ानों की संख्या 2004-05 की 3,844 से बढ़ कर 2016-17 में 15,508 और यात्रियों की संख्या 1.76 लाख से बढ़ कर 35 लाख प्रतिवर्ष हो गयी है.

उपमुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में शिशु मृत्यु दर 2005 की 61 से घट कर 2016 में प्रति एक हजार पर 38, मातृ मृत्यु दर 2007-09 की 261 से घट कर 2014-16 में 165 हो गयी, जबकि शिशु मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत 34 और मातृ मृत्यु दर 130 हैं. 2005-06 में जहां बिहार की प्रजनन दर 4 प्रतिशत थी वहीं 2015-16 में घट कर 3.4 प्रतिशत हो गयी. संस्थागत प्रसव राष्ट्रीय औसत 75 की तुलना में बिहार में 76 प्रतिशत तथा प्रसव पूर्व जांच राष्ट्रीय औसत के समतुल्य है.

सुशील मोदी ने कहा, सभी गांवों व 1,06,249 बस्तियों में बिजली पहुंचने के बाद 2005 की 24 लाख विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 2018 में बढ़ कर 1 करोड़ 27 लाख हो गयी हैं. 2007-08 की 1.56 लाख की तुलना में 2017-18 में 4.5 गुना अधिक 7.13 लाख साइकिल छात्रों को वितरित की गयी. सभी जिलों में इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्नीक, महिला आईटीआई, जेएनएम, पारा मेडिकल खोलने के साथ ही 13 नये मेडिकल कॉलेज व सभी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने का निर्णय लिया गया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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