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चीन की महाबैठक आज से शुरू, बीजिंग में जुटेंगे 29 देशों के नेता, भारत ने किया सम्‍मेलन का विरोध

बीजिंग/नयी दिल्ली : एशिया को यूरोप से जोड़नेवाली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ पर दो दिवसीय हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड’ शिखर सम्मेलन रविवार से शुरू हो रहा है. इस सम्मेलन में भारत भाग नहीं लेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि कोई देश ऐसी किसी […]

बीजिंग/नयी दिल्ली : एशिया को यूरोप से जोड़नेवाली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ पर दो दिवसीय हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड’ शिखर सम्मेलन रविवार से शुरू हो रहा है. इस सम्मेलन में भारत भाग नहीं लेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि कोई देश ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर उसकी मुख्य चिंता की उपेक्षा करती हो.
कश्मीर और सीपीइसी पर संप्रभुता संबंधी अपनी चिंताओं को भारत पहले ही चीन के समक्ष उठा चुका है. भारत चीन से वन बेल्ट-वन रोड पर सार्थक बातचीत का आग्रह करता रहा है. अभी भी चीन से सकारात्मक जवाब की प्रतीक्षा है. इस सम्मेलन में 29 राष्ट्र एवं सरकार प्रमुख हिस्सा लेंगे. इनमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने चार मुख्यमंत्रियों के साथ बीजिंग पहुंच चुके हैं. अमेरिका और जापान ने भी एक राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल भेजने पर सहमति जता दी है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि भारतीय नेता ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ में भाग नहीं लेंगे, लेकिन एक प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेगा.
* भारत को ऐतराज क्यों?
भारत का सबसे बड़ा ऐतराज पाकिस्तन को चीन से जोड़नेवाले सीपीइसी को लेकर है. ये कॉरिडोर पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके से गुजरेगा. भारत इसे अपनी स्वायत्ता के हनन का मानता है. भारत में सीपीइसी के तहत बन रहे ग्वादर बंदरगाह को लेकर भी शंका है.
* पड़ोसी देशों का रुख
इस परियोजना में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ प्रमुख भूमिका निभायेंगे. मौजूदा समय में सीपीइसी एकमात्र ऐसी परियोजना है, जिसमें जल्द परिणाम देने की संभावना है. शरीफ के अलावा इस सम्मेलन में श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे होंगे. श्रीलंका में आठ अरब डॉलर से अधिक का चीनी निवेश है. इसके अलावा नेपाल और बांग्लादेश भी इसमें शामिल हो रहे हैं.
* राजनीतिक लाभ
चीन इस परियोजना के माध्यम से राजनीतिक और आर्थिक लाभ लेने के फिराक में है. बीजिंग को उम्मीद है कि चीन में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या खत्म होगी. चीन में स्टील, कोयला और सीमेंट समेत कई वस्तुओं का उत्पादन बढ़ गया है और देश में खपत कम हो गयी है. इस उत्पाद को इस परियोजना में चीन खपाना चाह रहा है.
* शी को मिलेगी शक्ति
चीन के राष्ट्रपति की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट, वन रोड’ है. अगर यह परियोजना सफल रहती है, तो घरेलू मोर्चे पर जिनपिंग की ताकत में इजाफा होगा. इससे उन्हें पांच साल का दूसरा कार्यकाल मिलने में आसानी होगी.
* पाकिस्तान में 50 अरब डॉलर निवेश करेगा चीन
इसलामाबाद. पाकिस्तान एवं चीन के उत्तरी सिंधु नदी जल-प्रपात को विकसित करने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर करने की संभावना है. इसके तहत चीन 40,000 मेगावाट पनबिजली उत्पादन के लिए 50 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है. चीन और पाकिस्तान के बीच छह समझौते हुए हैं. इनमें द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने, कराची एवं पेशावर के बीच के मुख्य रेल मार्ग को उन्नत बनाने और हवेलियान में एक बंदरगाह की स्थापना शामिल है.
* वन बेल्ट वन रोड पर चीन का निवेश
800 अरब डॉलर पांच साल में निवेश करने की योजना
60 अरब डॉलर 2013 से अब तक खर्च
120 अरब डॉलर अगले साल होंगे खर्च
* ये देश हो रहे हैं शामिल
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, जापान, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, ईरान, जॉर्डन, अफगान ब्रुनोई, इराक, इस्राइल, कजाकिस्तान, किग्रिस्तान, लाओस, मंगोलिया समेत अन्य.
Prabhat Khabar Digital Desk
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