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रानीगंज हिंसा: मुकुल ने ममता को घेरा, कहा- ममता को पीएम बनने का नशा चढ़ा है

कहा : बंगाल के भविष्य को ताक पर रख कर प्रधानमंत्री बनने के लिए लगातार दिल्ली में दरबार लगा रही हैं कोलकाता : ममता बनर्जी के सिपहसालार रहे मुकुल राय इन दिनों पश्चिम बंगाल में भाजपा के वरिष्ठ नेता बनकर पंचायत चुनाव की कमान संभाले हुए हैं. लगातार जिलेवार दौरा के दौरान वह ममता सरकार […]

कहा : बंगाल के भविष्य को ताक पर रख कर प्रधानमंत्री बनने के लिए लगातार दिल्ली में दरबार लगा रही हैं

कोलकाता : ममता बनर्जी के सिपहसालार रहे मुकुल राय इन दिनों पश्चिम बंगाल में भाजपा के वरिष्ठ नेता बनकर पंचायत चुनाव की कमान संभाले हुए हैं. लगातार जिलेवार दौरा के दौरान वह ममता सरकार के खिलाफ अपने विचारों का इजहार करते हुए बंगाल के विकास में सरकार की खामी का मामला तो उठा ही रहे हैं. साथ में ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की नीति को भी सामने ला रहे हैं.
आसनसोल में हुई हिंसा और उसको रोक पाने में राज्य सरकार की विफलता की वजह बताते हुए मुकुल राय ने कहा कि उनको (ममता बनर्जी) मौजूदा समय में प्रधानमंत्री बनने का नशा चढ़ा हुआ है. इसलिए वह बंगाल के भविष्य को ताक पर रख कर प्रधानमंत्री बनने के लिए लगातार दिल्ली में दरबार लगा रही हैं. आसनसोल जब जल रहा है उस वक्त ममता बनर्जी दिल्ली में शरद पवार की डिनर पार्टी का आनंद ले रही थीं. उन्होंने कहा कि महीना भर पहले से भाजपा और कांग्रेस विरोधी ताकतों को लेकर ममता बनर्जी राजनीतिक हित साधने में लगी हुई हैं. जब से हार्दिक पटेल व जिग्नेश जैसे बच्चे उनसे मिलकर गये हैं.
उनको लगने लगा है कि वह भारत की प्रधानमंत्री बन सकती हैं. इसी बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री व टीआरएस के मुखिया चंद्रशेखर राव नवान्न में उनसे मिलकर गये और चंद्रबाबू नायडू ने उनसे फोन पर बात क्या कर ली, वह खुद को हवा में उड़ता महसूस कर रही हैं. इसके बाद वह शरद पवार का निमंत्रण पाते ही दिल्ली चली गयीं. वहां पर डीएमके और शिवसेना समेत कई पार्टी के नेताओं के साथ वह मिलीं. इसके बाद वह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ भी उनके घर 10 जनपथ में जाकर मिलीं. उन्होंने खुद मीडिया को बताया कि साल 2019 में सभी मोदी विरोधी ताकतें एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. यह सब फेडरल फ्रंट के बैनर तले होगा.
मुकुल राय ने कहा कि यह सब कल्पना में विचरण करने लायक है, क्योंकि उनका मंसूबा सफल होने वाला नहीं है. इससे अच्छा होता कि वह बंगाल के विकास व शांति स्थापना में ध्यान देतीं. ऐसा नहीं करके वह प्रधानमंत्री बनने के लिए दिल्ली दौड़ रही हैं और बंगाल हिंसा की चपेट में है. लिहाजा रानीगंज व आसनसोल की घटना के लिए वह सीधे तौर पर ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा करते हुए उनको नसीहत दे रहे हैं कि वह फिर से वहीं गलती कर रही हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव के समय की थीं. उस वक्त वह अपना उम्मीदवार खड़ा करने के लिए मुलायम सिंह यादव पर भरोसा कर रही थीं, लेकिन ऐन वक्त पर उनको औंधे मुंह गिरना पड़ा था. इस बार भी हालत उसी तरह है.

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