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आयुष चिकित्सक लिखते हैं एलोपैथिक दवा

अनदेखी . अपने नियमों का पालन कराने में विफल साबित हो रहा सेहत महकमा स्वास्थ्य विभाग जिले के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगा है, जिस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. अधिकतर अस्पतालों में आयुष चिकित्सक ही आपातकालीन सेवा व प्रसव के मामले देखते हैं, जो मरीजों की जान से खिलवाड़ […]

अनदेखी . अपने नियमों का पालन कराने में विफल साबित हो रहा सेहत महकमा
स्वास्थ्य विभाग जिले के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगा है, जिस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. अधिकतर अस्पतालों में आयुष चिकित्सक ही आपातकालीन सेवा व प्रसव के मामले देखते हैं, जो मरीजों की जान से खिलवाड़ करना ही है.
औरंगाबाद (सदर) : स्वास्थ्य विभाग औरंगाबाद के लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगा है. दरअसल, जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बहाल सामान्य चिकित्सक अपनी मरजी के मुताबिक काम कर रहे हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है. जिले के एमबीबीएस डॉक्टर जो सरकारी सेवा के अतिरिक्त निजी क्लिनिक में अपने समय देते हैं, वे पदाधिकारियों के साथ सांठगांठ कर सुविधानुसार अपनी प्रतिनियुक्ति व पदस्थापना कराये हुए हैं. इसके कारण अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
गौरतलब है है वाह्य सेवा सुचारु रूप से चले, इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुष चिकित्सकों की बहाली की थी.
लेकिन, इन दिनों इनसे वाह्य सेवा के अतिरिक्त आपातकाल सेवा भी लिये जा रहे हैं, जो सरकार के नियम के विरुद्ध है.अपने चिकित्सा पद्धति में दक्ष आयुष चिकित्सक एलोपैथिक उपचार में असक्षम है, फिर भी इनसे ही अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 24 घंटे सातों दिन एलोपैथिक चिकित्सा का काम लिया जाता है. राज्य सरकार के पत्रांक एसएचएसबी 22373, दिनांक 27-12-2010 में साफ लहजे में निर्देश है कि आयुष चिकित्सकों से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर वाह्य सेवा सुचारु रूप से चलाया जाये और इन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर एलोपैथिक चिकित्सा कार्य में नहीं लगाया जाये. इसी पत्र के संबंध में सिविल सर्जन का पत्र जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भेजा गया था, जिसका ज्ञापांक 721-डीएचएस 2015-16 है. इसमें सामान्य चिकित्सकों से आपातकालीन सेवा लेने को कहा गया है. लेकिन, इस आदेश का कोई असर नहीं हुआ और अब सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह भी इस बात से मुकरते हुए कहते हैं कि आयुष चिकित्सक अपने चिकित्सा का धर्म निभाये व 24 घंटे सातों दिन नियमित ड्यूटी करे.
मरीजों का इलाज संभव नहीं, तो करें रेफर
सरकार का जो नियम है, वह अपनी जगह पर है. आयुष चिकित्सकों को जिस कार्य के लिए वेतन दिया जाता है, वह उसका संपादन ठीक तरीके से करे. अन्यथा, आयुष चिकित्सकों को हटाया जायेगा. इमरजेंसी की सेवा अगर नहीं देना चाहते हैं तो वे ड्यूटी न करें. उनसे अगर मरीजों का इलाज संभव नहीं होता है तो वे सीधे मरीजों को रेफर कर सकते हैं. वाह्य सेवा व इमरजेंसी सेवा दोनों कार्य आयुष चिकित्सक की जिम्मेवारी बनती है. चिकित्सा धर्म का पालन करें.
डाॅ आरपी सिंह, सीएस ,सदर अस्पताल
आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति वाह्य कक्ष में रोगियों को देखने के लिए हुई थी. इनकी ड्यूटी सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक तय की गयी थी. इसके बाद स्वास्थ्य केंद्रों पर आपातकाल की सेवा शुरू हो जाती है, जिसे अब सामान्य चिकित्सक नहीं, आयुष चिकित्सक ही देखते है, जो कहीं-न-कहीं सरकार के नियम के विरुद्ध है.
डाॅ एसके शमी, मीडिया प्रभारी, आयुष चिकित्सक संघ
आयुष चिकित्सक जिस चिकित्सा पद्धति में दक्ष होते हैं, उनसे अगर वह काम लिये जाये तो बेहतर होगा. लेकिन, यहां जब से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुष चिकित्सकों की बहाली हुई है, तब से इमरजेंसी की सेवा भी हम लोगों से ही ली जा रही है. किसी तरह की अगर घटना होती है, तो उसकी जिम्मेवारी पदाधिकारी अपने ऊपर नहीं लेना चाहते हैं. ऐसे में आयुष चिकित्सक पदाधिकारियों के हुक्म के गुलाम है.
डाॅ विजेंद्र कुमार, आयुष चिकित्सक
जिस पैथी की शिक्षा आयुष चिकित्सकों के पास है, उसका इस्तेमाल न कर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी एलोपैथ चिकित्सा करने का दबाव डालते हैं. पदाधिकारियों के आदेश पर वाह्य सेवा के अलावा आपातकाल सेवा भी देना पड़ता है. सोमवार से शनिवार तक की ही डयूटी निर्धारित है. फिर भी आयुष चिकित्सकों से पदाधिकारी अपने अनुसार जबरन काम ले रहे हैं.
डाॅ गंगासागर सिंह, सचिव आयुष चिकित्सक संघ
पदाधिकारियों के आदेश का विरोध नहीं कर सकते हैं. ओपीडी का जो समय तय है, उसके अतिरिक्त भी आयुष चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है. आपातकाल सेवा में एक्सिडेंटल, डिलेवरी सहित अन्य कई प्रकार के मामले आते हैं, जिसका इलाज आयुष चिकित्सकों से संभव नहीं है. फिर भी पदाधिकारी इन सारे कार्यों को आयुष चिकित्सकों पर ही थोपे हुए हैं.
डॉ उमेश कुमार सिंह, आयुष चिकित्सक
इमरजेंसी से लेकर डिलीवरी जैसे मामले भी देखते हैं आयुष चिकित्सक
राज्य सरकार के नियम के विपरीत औरंगाबाद स्वास्थ्य विभाग का चल रहा कामकाज लोगों के गले नहीं उतरता है.आयुष चिकित्सक जो आयुर्वेद, होमियोपैथ व यूनानी चिकित्सा पद्धति के जानकार होते हैं, उन्हें सीएस के हिटलरशाही फरमान के कारण स्वास्थ्य केंद्रों पर सामान्य चिकित्सक (एमबीबीएस) की अनुपस्थिति में इमरजेंसी से लेकर डिलेवरी जैसे मामले भी देखने का निर्देश दिया गया है. आयुष चिकित्सकों का कहना है कि नियमानुसार डिलीवरी जैसे मामले में सामान्य चिकित्सक होना जरूरी होता है, लेकिन अपने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी के आदेश का पालन कैसे न करें.
Prabhat Khabar Digital Desk
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