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सऊदी अरब की जेलों में बंद पाकिस्तानी क़ैदियों की कहानी

<figure> <img alt="जेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/CCE6/production/_106745425_gettyimages-1085829860.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>&quot;मुझे डेढ़ महीने बाद पता चला कि मेरी 62 वर्षीय बीमार माँ सऊदी जेल में क़ैद हैं. जिस महिला ने मेरी माँ को धोखे से ड्रग देकर सऊदी अरब भेजा था, वो महिला और उसका बेटा तो पकिस्तानी जेल से एक महीने बाद ही बाहर आ […]

<figure> <img alt="जेल" src="https://c.files.bbci.co.uk/CCE6/production/_106745425_gettyimages-1085829860.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>&quot;मुझे डेढ़ महीने बाद पता चला कि मेरी 62 वर्षीय बीमार माँ सऊदी जेल में क़ैद हैं. जिस महिला ने मेरी माँ को धोखे से ड्रग देकर सऊदी अरब भेजा था, वो महिला और उसका बेटा तो पकिस्तानी जेल से एक महीने बाद ही बाहर आ गए थे लेकिन मेरी माँ लगभग तीन साल से सऊदी अरब की जेल में क़ैद है.&quot;</p><p>नारोवाल के पास एक गांव में रहने वाले महबूब आलम ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि उनकी माँ को मोहल्ले की एक महिला ने उमरे(मुसलमानों की तीर्थ यात्रा) पर भेजा था.</p><p>&quot;हम अपने इलाक़े के कुछ घरों में दूध बेचते थे. मेरी माँ एक घर में दूध देने जाती थीं. उस घर में रहने वाली महिला ने मेरी माँ से कहा कि ‘जब मेरी माँ की मौत हुई थी तो कुछ पैसे छोड़ कर गयी थी. हमने उस दिन सोचा था कि उन पैसों से हम किसी ग़रीब को उमरा कराएंगे और उसने मेरी माँ से कहा कि मैं आपको फ्री में उमरा कराउंगी’. जिस पर मेरी माँ ने हां कर दी.&quot;</p><p>&quot;उस महिला ने हमसे कहा कि किसी को बताना मत कि ये उमरा मैं करवा रही हूँ क्योंकि मैं ये नेकी बर्बाद नहीं करना चाहती. लेकिन जाने से पहले वो हमारे घर कुछ सामान लेकर आईं और कहा कि मेरे बहनोई ये सामान सऊदी अरब में आपकी माँ से ले लेंगे.&quot;</p><p>महबूब आलम ने बताया कि उन्होंने उस सामान की तलाशी ली जिसमें कुछ कपड़े थे.</p><figure> <img alt="सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की इस हुई इस्लामाबाद यात्रा के दौरान सऊदी अरब की जेलों में बंद पाकिस्तानियों का मुद्दा भी उठा था" src="https://c.files.bbci.co.uk/1554E/production/_110947378_b4599eea-67e1-4dce-951a-7d34cd06e1f4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PM Office/Pakistan</footer> <figcaption>सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की इस हुई इस्लामाबाद यात्रा के दौरान सऊदी अरब की जेलों में बंद पाकिस्तानियों का मुद्दा भी उठा था</figcaption> </figure><p><strong>जमीला बीबी</strong><strong> की कहानी</strong></p><p>&quot;कुछ दिनों बाद जब मेरी माँ सऊदी अरब जाने के लिए सियालकोट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंची तो वो महिला मिलने आई और साथ में एक हलवे का डिब्बा भी लाई कि ये भी सामान में रख लें. मेरी माँ की फ्लाइट का समय था. हमने वो डिब्बा खोल कर देखा तो उसके अंदर हलवा ही था.&quot;</p><p>वो बताते हैं कि उनकी माँ उमरे के लिए सऊदी अरब चली गयीं और फिर उनसे संपर्क नहीं हुआ.</p><p>&quot;हमने डेढ़ महीना बहुत परेशानी में गुज़ारा क्योंकि उनका कुछ पता नहीं चल रहा था. कुछ समय बाद मुझे एक फ़ोन आया, किसी महिला ने पूछा कि जमीला बीबी आपकी क्या लगती है? मैंने जवाब दिया कि वो मेरी माँ हैं तो उस महिला ने मेरी माँ से बात कराई.&quot;</p><p>&quot;मेरी माँ ने बताया कि जब वो जेद्दा पहुंची तो एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने मेरे सामान की तलाशी ली तो उस डब्बे में हलवे के नीचे से हीरोइन बरामद हुई. मैंने अधिकारियों को बताया कि ये सामान मेरा नहीं है लेकिन उन्होंने मुझे जेल भेज दिया है.&quot;</p><figure> <img alt="लाहौर एयरपोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/1072E/production/_110947376_gettyimages-469042802.jpg" height="640" width="976" /> <footer>Sajid Hussain/Pacific Press/LightRocket/Getty</footer> </figure><h1>लाहौर एयरपोर्ट पर…</h1><p>महबूब आलम ने आगे कहा कि हमने उस महिला (जिसने उमरे पर भेजा था) के ख़िलाफ़ नार्कोटिक विभाग में शिकायत की जिसके बाद कार्रवाई की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जबकि उनका बेटा लाहौर एयरपोर्ट पर पहले ही ड्रग ले जाते पकड़ा जा चुका था. </p><p>&quot;मुझे अफ़सोस ये है कि वो दोनों माँ बेटा एक महीने बाद ही जेल से बहार आ गए. कुछ दिन पहले हमें माँ का फोन आया और पता चला कि क़ाज़ी ने उनका सर क़लम करने का आदेश दिया है जबकि रहम की अपील के बाद क़ाज़ी ने 17 साल क़ैद की सज़ा सुनाई है.&quot;</p><p>महबूब आलम को एक साल पहले उम्मीद की किरण उस समय नज़र आई, जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पकिस्तान दौरे के दौरान सऊदी जेलों में क़ैद 2107 क़ैदियों को रिहा करने का एलान किया था.</p><p>याद रहे कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस साल फ़रवरी में दो दिवसीय दौरे पर पकिस्तान आए थे. इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी क्राउन प्रिंस की तवज्जो सऊदी जेलों में क़ैद पकिस्तानियों की तरफ़ दिलवाई थी.</p><figure> <img alt="सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पकिस्तान दौरे के दौरान सऊदी जेलों में क़ैद 2107 क़ैदियों को रिहा करने का एलान किया था" src="https://c.files.bbci.co.uk/00B2/production/_105687100_mediaitem105685599.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Twitter/KSAMOFAEN</footer> <figcaption>सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पकिस्तान दौरे के दौरान सऊदी जेलों में क़ैद 2107 क़ैदियों को रिहा करने का एलान किया था</figcaption> </figure><h1>सऊदी क्राउन प्रिंस का वादा </h1><p>क़ैदियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘जस्टिस प्रोजेक्ट पकिस्तान’ की रिसर्च के अनुसार सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से फ़रवरी 2019 में सऊदी अरब की जेलों में क़ैद दो हज़ार से अधिक पाकिस्तानी क़ैदियों की रिहाई का वादा किया गया था. </p><p>लेकिन वादे के बाद से अब तक सऊदी बादशाह की तरफ से माफ़ी के एलान के बावजूद सिर्फ 89 क़ैदी घर लौट सके हैं.</p><p>जस्टिस प्रोजेक्ट पकिस्तान के अनुसार उन्होंने खाड़ी देशों में क़ैद 11 हज़ार पाकिस्तानियों की तरफ से कोर्ट में पिटीशन दायर की थी और इस पिटीशन के जवाब में कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को आदेश दिया था कि वो देश में वापिस लौटने वाले क़ैदियों की डिटेल जमा करवाएं.</p><p>याद रहे कि पकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस साल एक केस की सुनवाई के दौरान लाहौर हाई कोर्ट में जवाब दायर करवाया था कि सऊदी जेलों से रिहा होने वाले 579 क़ैदी वापस पकिस्तान आ चुके हैं.</p><p>जस्टिस प्रोजेक्ट पकिस्तान की संस्थापक सारा बिलाल ने बीबीसी से बात करते हुए दावा किया कि विदेश मंत्रालय की तरफ से रिहा होने वाले जिन 579 पाकिस्तानियों की डीटेल कोर्ट में जमा कराई गई थी उनमे से बहुत से असल में सऊदी क्राउन प्रिंस के एलान से पहले ही सन 2018 में पकिस्तान आ चुके थे.</p><p>उनका ये भी कहना था कि हम इस केस की पैरवी कर रहे हैं और इस मामले पर पकिस्तान के प्रधानमंत्री, विदेश विभाग, सऊदी एम्बैसडर और ज़ुल्फ़ी बुखारी को भी पत्र लिखें हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.</p><figure> <img alt="सारा बिलाल" src="https://c.files.bbci.co.uk/17D8/production/_110940160_a5bfb252-ab60-4e90-b030-d2547c0612c4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>सारा बिलाल कहती हैं कि बहुत से पाकिस्तानी क़ैदियों को सूचना न होने, क़ानूनी कार्रवाई और कोर्ट तक सीधे पहुँच न मिलने और अपने हक़ में पकिस्तान से सबूत न मिलने की वजह से सख्त सज़ाओं का सामना करना पड़ता है</figcaption> </figure><h1>क़ैदियों की रिहाई में देरी की वजह </h1><p>जस्टिस प्रोजेक्ट पकिस्तान की संस्थापक सारा बिलाल ने बीबीसी को बताया कि इस समय दुनिया भर में सऊदी अरब वो अकेला देश है जहां पाकिस्तानी क़ैदियों की संख्या लगभग 3400 है जो बाक़ी सभी देशों से अधिक है जबकि इस साल सऊदी अरब ने 30 पाकिस्तानियों का सिर क़लम किया जिसमे एक महिला भी शामिल है.</p><p>उन्होंने आगे कहा कि सऊदी क्राउन प्रिंस के वादे के बावजूद भी पाकिस्तानियों की रिहाई में सबसे बड़ी रुकावट उच्च अधिकारीयों की सुस्ती है. इसके अलावा बहुत से पाकिस्तानी क़ैदियों को सूचना न होने, क़ानूनी कार्रवाई और कोर्ट तक सीधे पहुँच न मिलने और अपने हक़ में पकिस्तान से सबूत न मिलने की वजह से सख्त सज़ाओं का सामना करना पड़ता है.</p><p>सऊदी अरब में इस समय 26 लाख पाकिस्तानी रियाद, दमाम, तायफ़ और जेद्दा में रह कर रोज़गार कर रहे हैं, जिनमे से अधिकतर लोग मज़दूरी करते हैं.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=YxG4tvgRfWo">https://www.youtube.com/watch?v=YxG4tvgRfWo</a></p><h1>मामला उच्च स्तर पर उठाया जा रहा है</h1><p>इस रिसर्च के संबंध में विदेश विभाग की प्रवक्ता आयेशा फ़ारूक़ी ने बीबीसी को बताया कि हमारी एम्बैसी और काउंस्लेट, पूरी दुनिया में हमारे नागरिकों के बारे में जानकारी रखते हैं जो स्थानीय क़ानून के अनुसार विभिन्न जुर्मों में क़ैद हैं. जिसमे इमिग्रेशन क़ानून के उल्लंघन समेत दूसरी आपराधिक गतिविधिया भी शामिल हैं. लेकिन सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरी तरह से जानती है और हम विदेशों में रह रहे पाकिस्तानी क़ैदियों की रिहाई के लिए पूरी कोशिश करते हैं.</p><p>उनका कहना था कि हमारी एम्बेसी अपने क़ैदियों की सहूलियत के लिए लगातार स्थानीय सरकारों के साथ बात कर रही है.</p><p>&quot;पिछले कुछ सालों में हमारी एम्बैसी ने विदेशो में रह रहे पाकिस्तानी क़ैदियों की मदद के लिए विभिन्न देशों में 13000 से अधिक काउंसुलर पहुँचाने के लिए मुलाक़ातें की हैं. इन कोशिशों के निष्कर्ष में पिछले एक साल के दौरान ही 4637 से अधिक क़ैदी रिहा हुए हैं.&quot;</p><p>सऊदी अरब में पकिस्तानी क़ैदियों के मामले पर उनका कहना था कि सऊदी अरब में हमारे लोग सऊदी अधिकारीयों के साथ इस मामले पर बातचीत करते रहे हैं और हमें बताया गया है कि सऊदी क्राउन प्रिंस के एलान के तहत 579 क़ैदियों को रिहा किया गया है.</p><p>उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा 1500 के क़रीब क़ैदियों को दूसरे प्रावधानों और उनकी सज़ाएं मुकम्मल होने के बाद रिहा किया गया है जबकि द्विपक्षीय बातचीत के दौरान हमने सऊदी अधिकारियों के साथ इस मामले को सक्रिय तौर पर आगे बढ़ाया है. हमारे नेता भी उनसे संपर्क में हैं और इस मामले को उच्च स्तर पर भी उठाया गया है.</p><p>लेकिन बीबीसी की तरफ से विदेश विभाग की प्रवक्ता से जब ये पूछा गया कि क्या आप जस्टिस प्रोजेक्ट पकिस्तान की तरफ से की जाने वाली रिसर्च और उसकी संस्थापक सारा बिलाल के दावों से इनकार करती हैं? तो इसपर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=rGuiFORUsTA">https://www.youtube.com/watch?v=rGuiFORUsTA</a></p><h1>एमनेस्टी इंटरनेशनल की चिंता </h1><p>मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से जारी किये गए बयान के अनुसार उन्होंने इस मामले पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि हम सऊदी अरब में क़ैद पाकिस्तानी क़ैदियों की रिहाई से सम्बंधित जानकारी के लिहाज़ से सरकार की तरफ से दिखाई जाने वाली पारदर्शिता के अभाव पर चिंतित हैं. </p><p>संगठन का कहना है कि संसद, अदालत और पत्रकारों को दिए जाने वाले विरोधाभासी बयान इस मामले में एक चिंताजनक बात है.</p><p>लेकिन उनकी तरफ से जारी किये गए बयान में ये भी कहा गया है कि पकिस्तान और सऊदी अरब की सरकारों से गुज़ारिश करते हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस के वादे के अनुसार दो हज़ार क़ैदियों की वापसी को सुनिश्चित बनाने के लिए फौरी क़दम उठाये जाएं.</p><p>एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से ये भी कहा गया कि सऊदी अरब में क़ैद पाकिस्तानी अपने वकीलों, निष्पक्ष अनुवादक और एम्बेसी से प्रभावी काउंसलर की मदद की पहुँच के बिना स्थानीय अदालतों के रहम और करम पर हैं.</p><p>उनके अनुसार इसकी वजह से क़ैदी क़ानूनी कार्रवाई के बारे में समझने और अदालत से सीधे बात चीत करने में असमर्थ हैं और अपने बचाव में सबूत नहीं दे पाते और उन्हें सख्त से सख्त सजा का सामना करना पड़ता है.</p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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