
भारतीय विदेश राज्यमंत्री मोबशर जावेद अकबर ने अपने ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली एक महिला पत्रकार पर मानहानि का मामला दर्ज कराया है.
67 साल के एमजे अकबर ने उन पर आरोप लगाने वाली अन्य महिलाओं को भी इसी तरह की क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा है कि अपने ख़िलाफ़ आरोपों की वजह से वो इस्तीफ़ा नहीं देंगे.
लेकिन इस केस के लिए एमजे अकबर ने जो तैयारी की है, उसे लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा हो रही है.
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में 15 अक्तूबर को दिए 'आपराधिक मानहानि केस' के वकालतनामे में एमजे अकबर के वकील ने लिखा है कि "इस केस में एमजे अकबर की तरफ से 97 वकील खड़े होंगे".
ये वकालतनामा भी सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणियों के साथ शेयर किया जा रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार निधि राज़दान ने ट्वीट किया है, "एमजे अकबर के केस का वकालतनामा पढ़ा. कुल 97 वकील उनके लिए लड़ने वाले हैं. वो भी अकेली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़."
'द हिंदू' अख़बार की डिप्टी रेज़िडेंट एडिटर सुहासिनी हैदर ने ट्वीट किया, "अकबर ने 12 सीनियर पत्रकारों को क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. सोचिए उन्होंने शिक़ायतकर्ता इंटर्न्स के साथ क्या व्यवहार किया होगा, जो कि उस वक़्त बस कॉलेज पास करके नौकरी में गई थीं."
वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने इस ख़बर से जोड़ते हुए ये तस्वीर ट्वीट की है.
मृणाल पांडे ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है, "प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ एमजे अकबर, उनके 97 वकील, भारत सरकार और '56 इंच' भी जोड़ लिया जाए तो भी वो सवा करोड़ से बहुत कम बैठता है."
वहीं लेखिका निलंजना रॉय ने ट्वीट किया है, "एमजे अकबर का इस्तीफ़ा न लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने ये साफ़ कर दिया है कि यौन उत्पीड़न और कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इस सरकार का रवैया क्या है."
सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर लिखा, "ये कोई हैरानी की बात नहीं है. जब नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) के जज स्वतंत्र कुमार पर एक इंटर्न वकील का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे तो उन्होंने भी हाई कोर्ट में उस लड़की के ख़िलाफ़ 21 वकील खड़े किए थे. बस इस बार नंबर बढ़ गए हैं और टीम वही है."
इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर पत्रकार प्रिया रमानी को क़ानूनी मदद की पेशकश की है.
वहीं सीनियर पत्रकार हरिंदर बवेजा सहित कई अन्य पत्रकारों ने प्रिया रमानी को आर्थिक मदद देने की भी बात कही है.
एमजे अकबर के वकील
न्यूज़-18 नेटवर्क की ख़बर के अनुसार एमजे अकबर के लिए केस लड़ने जा रही लॉ फ़र्म 'करंजावाला एंड कंपनी' ने वकालतनामे पर ज़रूर ये दावा किया है कि 97 वकील एमजे अकबर का केस लड़ेंगे, लेकिन सुनवाई के दौरान सिर्फ़ छह वकील ही कोर्ट रूम में मौजूद रहेंगे.
वकालतनामे के 41वें पन्ने पर अन्य वकीलों के साथ सीनियर वकील संदीप कपूर, वीर संधु, निहारिका करंजावाला, अपूर्व पांडे और मयंक दत्ता का नाम लिखा है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये वकील इस केस की सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की तरफ से पेश हो सकते हैं.
नेशनल हेराल्ड की एक ख़बर के मुताबिक़ जो लॉ फ़र्म एमजे अकबर का केस लड़ने वाली है, वकीलों की वही कंपनी तहलका के पूर्व चीफ़ एडिटर तरुण तेजपाल का यौन उत्पीड़न केस भी लड़ रही है. तरुण तेजपाल फ़िलहाल बेल पर जेल से रिहा हैं.
अपनी ख़बर में नेशनल हेराल्ड ने ये दावा भी किया है कि 'करंजावाला एंड कंपनी' के मालिक राएन करंजावाला पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं.

प्रिया रमानी का जवाब
एमजे अकबर की कार्रवाई के कुछ घंटे बाद प्रिया रमानी ने भी एक बयान जारी किया.
इस बयान में उन्होंने कहा, ''मैं अपने ख़िलाफ़ मानहानि के आरोपों पर लड़ने के लिए तैयार हूँ. सच और सिर्फ़ सच ही मेरा बचाव है.''
बयान में प्रिया रमानी ने कहा, ''मुझे इस बात से बड़ी निराशा हुई है कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं के आरोपों को राजनीतिक साज़िश बताकर ख़ारिज कर दिया है.'

दस से अधिक महिलाओं के आरोप
अब तक 10 से अधिक महिलाएं #MeToo के ज़रिए एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप लगा चुकी हैं.
ये अधिकतर महिलाएं अकबर के साथ अलग-अलग मीडिया संस्थानों में काम कर चुकी हैं.
सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo अभियान के दौरान फ़िल्म, मीडिया जगत की जानी-मानी हस्तियों के नाम सामने आए हैं जिनमें महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए हैं.
विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर 'प्रीडेटरी बिहेवियर' के आरोप हैं जिसमें युवा महिलाओं को मीटिंग के नाम पर कथित तौर पर होटल के कमरे में बुलाना शामिल है.
देश के सबसे प्रभावशाली संपादकों में से एक रहे एमजे अकबर, द टेलीग्राफ़, द एशियन ऐज के संपादक और इंडिया टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर रहे हैं.
सबसे पहले उनका नाम बीते सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने लिया था. उन्होंने एक साल पहले वोग इंडिया के लिए 'टू द हार्वे वाइंस्टींस ऑफ़ द वर्ल्ड' नाम से लिखे अपने लेख को री-ट्वीट करते हुए ऑफ़िस में हुए उत्पीड़न के पहले अनुभव को साझा किया.
रमानी ने अपने मूल लेख में एमजे अकबर का कहीं नाम नहीं लिया था, लेकिन सोमवार को उन्होंने ट्वीट किया कि वो लेख एमजे अकबर के बारे में था.
उसके बाद से पाँच अन्य महिलाओं ने भी एमजे अकबर से जुड़े अपने अनुभव साझा किये हैं.
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