Earthquake In Delhi: सोमवार की सुबह 5 बजकर 36 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मध्यम दर्जे की रही, लेकिन इसका केंद्र दिल्ली में होने के कारण पूरी दिल्ली-एनसीआर में तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का मुख्य केंद्र धौला कुआं के पास दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज के आसपास था.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र हमेशा से भूकंप के खतरे के पीछे तीन मुख्य कारण हैं:
- हिमालयी टकराव जोन से निकटता: दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हिमालयी टकराव जोन से केवल 250 किलोमीटर दूर स्थित है। इस क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं, जिससे भूकंप का खतरा बढ़ता है.
- फॉल्ट लाइन्स का प्रभाव: दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से तीन प्रमुख फॉल्ट लाइन्स गुजरती हैं, जो भूकंप के झटकों को उत्पन्न करने का कारण बनती हैं.
- भूकंप जोन 4 में स्थिति: दिल्ली-एनसीआर भूकंप के चौथे जोन में आता है, जो उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है.
भूकंप के पीछे का क्या है कारण
भूकंप के मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने और टकराने से उत्पन्न तनाव है. जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, तो इनके बीच ऊर्जा का निर्माण होता है। हल्के-फुल्के भूकंप ऊर्जा को धीरे-धीरे रिलीज करते हैं, लेकिन यदि प्लेटों के बीच तनाव अधिक हो, तो यह ऊर्जा एक साथ तेजी से निकलने का प्रयास करती है, जिससे बड़े भूकंप की आशंका बनी रहती है.
दिल्ली को माना जाता है खतरनाक
भारत में भूकंप को चार श्रेणियों में बांटा गया है, और दिल्ली-एनसीआर भूकंप के चौथे जोन में स्थित है, जो उच्चतम जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल है. डीडीएमए के अनुसार, दिल्ली और उसके आसपास 1720 के बाद से केवल पांच भूकंप हुए हैं, जिनकी तीव्रता 5.5 से 6.7 तक रही है. दिल्ली-हरिद्वार पर्वतमाला और दिल्ली-मुरादाबाद भूकंप की प्रमुख रेखाएं दिल्ली से होकर गुजरती हैं, जो इसे और अधिक संवेदनशील बनाती हैं. इन रेखाओं से एमएसके VIII तक की तीव्रता वाले भूकंप पैदा हो सकते हैं, जो दिल्ली में संभावित हैं.
फॉल्ट लाइन्स और कमजोर क्षेत्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, दिल्ली के पास कई कमजोर क्षेत्र और फॉल्ट मौजूद हैं, जैसे महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट, मोरादाबाद फॉल्ट, सोहना फॉल्ट, और यमुना नदी रेखा. इन फॉल्ट लाइनों और कमजोर क्षेत्रों की उपस्थिति दिल्ली को भूकंप के प्रति और भी अधिक संवेदनशील बनाती है. दिल्ली की निकटता हिमालय से भी भूकंप के खतरे को बढ़ाती है, क्योंकि हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय रूप से बहुत सक्रिय है.
दिल्ली में भूकंप की स्थितियां
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा बेसिन लगभग 2.5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यह भारतीय प्रायद्वीप के उत्तरी किनारे और हिमालय के बीच स्थित है. दिल्ली की जमीन अरावली-दिल्ली फोल्ड बेल्ट के करीब है, जो लाखों साल पुरानी पहाड़ी संरचनाओं पर स्थित है.
यमुना नदी के मैदानी इलाकों में भूमि की परत नरम होने के कारण भूकंप की लहरें इन क्षेत्रों में तेज महसूस होती हैं. यदि यह परत ठोस होती, तो भूकंप की लहरें कम महसूस होतीं. इसके अलावा, दिल्ली में जो फॉल्ट लाइन्स हैं, उनकी गहराई करीब 150 किलोमीटर तक है, जिससे भूकंप के झटके अधिक तीव्र हो सकते हैं.