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तहव्वुर राणा: मुंबई हमले का “खामोश साजिशकर्ता”, डॉक्टर से आतंकी बनने की कहानी

Tahawwur Rana: 26 नवंबर 2008 की वो काली रात, मुंबई की सड़कें गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाके से गूंज रही थी. जिससे पूरा देश दहल उठा था. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर बिखरे खून के छींटे और नरीमन हाउस की चीखें आज भी हर भारतीय के जेहन में जिंदा है. पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों ने खून की होली खेल दी थी. जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी. आतंकी अजमल कसाब को तो फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन हमले का एक ऐसा आरोपी जो अपनी चुप्पी और चालाकी से मुंबई को दहलाने का जाल बिछाया था. तो आइये उसे खामोश साजिशकर्ता के बारे में जानें.

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Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा (64) पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है. उसका जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले के चिचावतनी शहर में हुआ था.

Mumbai attacks : पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था आतंकी तहव्वुर राणा

पाकिस्तान में चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद उसने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में काम किया. राणा 1990 के दशक के अंत में पाकिस्तानी सेना छोड़कर कनाडा चला गया और बाद में उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई. उसने अपने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ उद्यम के माध्यम से आव्रजन सेवा प्रदाता का अपना व्यवसाय शुरू किया. इसके बाद राणा अमेरिका चला गया और शिकागो में अपना कार्यालय स्थापित किया.

राणा हेडली के संपर्क में कैसे आया?

सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि हेडली, राणा के बचपन का दोस्त है. उसके जन्म के कुछ समय बाद हेडली का परिवार पाकिस्तान चला गया, जहां अटक जिले के हसन अब्दल शहर के एक स्कूल में उसकी पढ़ाई हुई. वहीं, हेडली की राणा से दोस्ती हुई.

2008 में 26 नवंबर को मुंबई आतंकवादी हमला मामले में राणा की क्या संलिप्तता है?

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 11 नवंबर, 2009 को हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, और आतंकवाद रोधी सार्क संधि अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. शिकागो, इलिनोइस निवासी हेडली और राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के सदस्यों के साथ मिलकर नयी दिल्ली और भारत के अन्य स्थानों पर आतंकवादी हमले की आपराधिक साजिश रची थी.

राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा दिलाने में की थी मदद

जांच एजेंसी के अनुसार राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा दिलाने में मदद की थी. भारत आने के बाद हेडली ने ताजमहल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस जैसे प्रमुख ठिकानों की रेकी की. उसने वीडियो बनाए, फोटो खींचे और हर जगह की बारीक जानकारी जुटाई. इसके पीछे राणा का दिमाग था. आरोप है कि राणा को हेडली के आतंकी संबंधों की जानकारी थी और उसने मुंबई में लक्ष्यों की टोह लेने और नयी दिल्ली में ‘नेशनल डिफेंस कॉलेज’ और मुंबई में चबाड हाउस पर हमलों की साजिश रचने में भी मदद की थी. अधिकारियों ने बताया कि हेडली जून 2006 में अमेरिका गया था और राणा से मिला था.

राणा ने पहन रखा था मासूमियत का मुखौटा

तहव्वुर राणा की सबसे बड़ी ताकत उसकी खामोशी थी. वो सादगी में रहता, जिससे उसे ऊपर कोई शक भी नहीं कर पाता था. वह कभी बंदूक नहीं उठाता था, न ही किसी आतंकी कैंप में ट्रेनिंग लेता था. लेकिन अंदर ही अंदर वो बड़ी साजिश को अंजाम दे रहा था. उसका हथियार, उसकी कंपनी और उसकी पहचान थी. उसने हेडली को न सिर्फ वीजा और पैसा मुहैया कराया, बल्कि उसे एक बिजनेसमैन की पहचान भी दी. हेडली जब मुंबई आया, तो वो राणा की कंपनी का कर्मचारी बनकर घूम रहा था.

मुंबई हमले में 166 लोगों को हुई थी मौत

साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे. इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. नवंबर 2012 में, पाकिस्तानी समूह के एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी.

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