Vande Bharat Train: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में पहली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. लेकिन देश की पहली स्वदेशी सेमी हाई-स्पीड ट्रेन के उत्पादन का नेतृत्व करने वाले सुधांशु मणि ने उद्घाटन के करीब 6 साल बाद यात्रा का आनंद उठाया. हाल ही में उन्हें एक यात्री के रूप में इसमें यात्रा करने का अवसर मिला.
मणि ने यात्रा अनुभव किया शेयर
लखनऊ के चारबाग स्टेशन से प्रयागराज के लिए ट्रेन में सवार हुए मणि ने अपने अनुभव को मिला-जुला बताया. उन्होंने ट्रेन के बाहरी रूप, एग्जीक्यूटिव क्लास में साफ-सफाई और स्वच्छ भोजन की सराहना की लेकिन साथ ही यात्रियों की कम संख्या और कोच के फर्श पर बिछे अनावश्यक लाल कालीन पर भी आपत्ति जताई. मणि ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, बाहरी रूप काफी हद तक वैसा ही दिखा जैसा हमने बनाया था. उन्होंने कहा कि एग्जीक्यूटिव क्लास का कोच उचित रूप से साफ” था, हालांकि एक अनावश्यक लाल कालीन की पट्टी से वह निराश थे.
इंटीरियर और भोजन पर मणि ने किया कमेंट, जानें क्या कहा?
सीटों की सराहना करते हुए सुधांशु मणि ने कहा कि वे प्रोटोटाइप से अधिक आरामदायक थीं. उन्होंने शौचालय को साफ और कार्यात्मक बताया लेकिन कहा कि फिटिंग पर लागत कटौती और खरीद प्रणाली की खामियों की छाप स्पष्ट थी. उन्होंने इंटीरियर को सुखद और भोजन की गुणवत्ता को स्वच्छ और उचित रूप से स्वादिष्ट पाया.
यात्रियों की संख्या देखकर निराश हुए मणि
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के निर्माता सुधांशु मणि जब पहली बार सफर पर निकले तो यात्रियों की कम संख्या को देखकर उन्हें निराशा हुई. मणि ने कहा, सच कहूं तो यात्रियों की संख्या कम थी – एग्जीक्यूटिव क्लास में 25 प्रतिशत से कम और चेयर कार मुश्किल से आधी क्षमता पर थी.
वंदे भारत को 130 किमी प्रति घंटा की गति से चलाए जाने पर नाखुश हुए आए मणि
वंदे भारत की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा होने के बावजूद इसे 130 किमी प्रति घंटा की गति से चलाए जाने पर भी उन्होंने असंतोष व्यक्त किया. मणि ने 2018 में प्रोटोटाइप ट्रेन 18 (जिसे बाद में वंदे भारत नाम दिया गया) के परीक्षण के दौरान इसमें यात्रा की थी. वह 38 साल के करियर के बाद 31 दिसंबर 2018 को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई के महाप्रबंधक के पद से रिटायर हुए थे.
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