Trump Tariff vs GST Reforms: जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति से जीएसटी में व्यापक सुधारों को मंजूरी दे दी. इस निर्णय से रोटी, पराठा से लेकर हेयर ऑयल, आइसक्रीम और टीवी तक आम उपयोग की वस्तुएं सस्ती होंगी. वहीं व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर कर से पूरी तरह से राहत मिलेगी. दैनिक उपयोग की खाद्य वस्तुओं पर कर की दर शून्य होगी. वहीं दूध (अत्यधिक तापमान वाले), छेना, पनीर, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, सादी चपाती या रोटी पर कर की दर पांच प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दी गई है.
जीएसटी में कटौती से कैसे ट्रंप के टैरिफ से मुकाबला किया जाएगा
आर्थिक नुकसान – ट्रंप के टैरिफ से 4 से 5 लाख करोड़ रुपये के निर्यात पर असर पड़ेगा. जिससे जीडीपी में 0.4 से 0.6 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. जबकि जीएसटी में कटौती से 2 से 2.4 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग बढ़ेगी. जीडीपी में 0.5 से 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.
उपभोक्ता प्रभाव – 50 प्रतिशत टैरिफ की वजह से अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान महंगे होंगे, जिससे डिमांड में गिरावट होगी. जबकि जीएसटी में कटौती से उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे. खपत बढ़ेगी.
उद्योग/नौकरियां – टैरिफ से टेक्सटाइल, ज्वेलरी आदि में 70-80% निर्यात गिरावट; लाखों नौकरियां खतरे में. लेकिन जीएसटी में कटौती से MSME को राहत मिलेगी. उत्पादन बढ़ेगा, भारतीय बाजारों में नई नौकरियां बढ़ेंगी.
राजकोषीय असर – भारत को राजस्व हानि होगी. लेकिन जीएसटी कटौती से राजस्व पर 48,000 करोड़ का प्रभाव, लेकिन अन्य टैक्स से भरपाई; मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगा.
दीर्घकालिक प्रभाव – टैरिफ से व्यापार युद्ध बढ़ सकता है. भारत-यूएस संबंध खराब होंगे. जीएसटी कटौती से आत्मनिर्भरता मजबूत होगी. वैकल्पिक बाजार (यूरोप, आसियान) खुलेंगे.
क्या है विशेषज्ञों की राय?
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी कर संरचना में किए गए बदलाव और आयकर में की गई कटौतियां घरेलू खपत को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था की स्थायी वृद्धि को रफ्तार देने का काम करेंगी. जीएसटी कर के स्लैब में किए गए बदलाव का मकसद अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन आसान करना, लोगों की जेब में अधिक धनराशि छोड़ना और समग्र मांग को बढ़ावा देना है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड ग्लोबल रिसर्च ने अनुमान जताया कि जीएसटी दरों में कमी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.1-0.16 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हो सकती है और मुद्रास्फीति में 0.40-0.60 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है.
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क्या है व्यापारियों की राय?
मेरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सौगत गुप्ता ने कहा कि दरों में कटौती से आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी जिससे त्योहारी मौसम में खपत बढ़ेगी. डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने इसे समय पर उठाया गया परिवर्तनकारी कदम बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण और कस्बाई बाजारों में मांग को बल मिलेगा. गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के मुख्य वित्त अधिकारी आसिफ मलबारि ने कहा कि सरकार के इस कदम से खपत को बढ़ावा मिलेगा और कंपनियां जीएसटी में कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगी.
खपत बढ़ने के साथ व्यापार पर दबाव भी कम होगा : एआईसीपीडीएफ
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक महासंघ (एआईसीपीडीएफ) ने कहा कि यह केवल तकनीकी कर संशोधन न होकर एक ऐतिहासिक कदम है जो खपत बढ़ाने के साथ व्यापार पर दबाव को भी कम करेगा. संगठन का अनुमान है कि इससे अगले दो तिमाहियों में ग्रामीण खपत में आठ से लेकर 10 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है और वितरकों एवं खुदरा विक्रेताओं की नकदी स्थिति में 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी. एआईसीपीडीएफ ने कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कटौती के इस कदम से एफएमसीजी क्षेत्र की सालाना 10-12 प्रतिशत की वृद्धि दर में अतिरिक्त दो से तीन प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हो सकती है.’’
जीएसटी दरों में कटौती से उद्योग को लाभ होगा, भारत का निर्यात बढ़ेगा – पीयूष गोयल
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- “जीएसटी दरों में कटौती से उद्योग को भी लाभ होगा क्योंकि कीमतें घटने पर मांग बढ़ती है, जिससे विनिर्माण गतिविधियां तेज होती हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरफ से भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत का निर्यात अधिक रहेगा. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 820 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जो उसके एक साल पहले के मुकाबले छह प्रतिशत अधिक है. गोयल ने जीएसटी दर कटौती का निर्यात क्षेत्र पर प्रभाव बताते हुए कहा कि इससे उद्योग के सभी वर्गों को लाभ होगा. उन्होंने कहा, “जिन निर्यातकों पर किसी तीसरे देश की कार्रवाई से असर पड़ा है, उन्हें अब बड़े भारतीय बाजार को साधने और बिना बाधा अपना कारोबार जारी रखने का अवसर मिलेगा.
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