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चलती ट्रेनों पर पथराव करने वालों की अब खैर नहीं, पत्थरबाजों पर पैनी नजर रखेगी तीसरी आंख

अधिकारियों ने कहा कि यह पहल न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि पटरियों से क्लिप, क्लैम्प आदि की चोरी के मामलों को रोकने में मदद करेगी, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं. इस तरह रेलवे की संपत्ति की रक्षा होगी, चोरों और चलती ट्रेनों पर पथराव करने वालों की भी पहचान होगी.

नई दिल्ली : भारत में बात-बात पर विरोध-प्रदर्शन करना, हर किसी मुद्दे पर यातायात, परिवहन और रेल रोकना, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पहुंचाना तथा सड़कों और रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर बसों और ट्रेनों पर पथराव करना आम हो गया है. लेकिन, अब रेलवे ट्रैक पर खड़ा होकर ट्रेन पर पथराव करने वालों की अब खैर नहीं होगी. ट्रेनों पर पथराव करने वाले पत्थरबाजों पर तीसरी आंख पैनी नजर रखेगी. इसके लिए भारतीय रेलवे की ओर से ट्रैक पर खड़े होकर पथराव करने वालों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना बनाई जा रही है.

सीसीटीवी कैमरों से होगी पत्थरबाजों की पहचान

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे ने ट्रेनों पर पथराव करने वाले तत्वों की पहचान करने के लिए पटरियों के किनारे सीसीटीवी लगाने का फैसला किया है, जिससे यात्रियों को चोट लगती है और रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचता है. अधिकारियों का मानना ​​है कि यह पहल न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि साथ ही पटरियों से क्लिप, क्लैम्प आदि की चोरी के मामलों को रोकने में एक निवारक के रूप में कार्य करेगी, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से चोरों की पहचान होगी और इस तरह रेलवे की संपत्ति की रक्षा होगी और चलती ट्रेनों पर पथराव करने वालों की भी पहचान होगी.

पहले चरण में इन रूटों पर लगेंगे सीसीटीवी कैमरे

रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे की योजना के पहले चरण में राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस समेत अन्य प्रीमियम ट्रेनों के रूट पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे. रेलवे स्टेशनों पर इसके लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा, जहां से रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवान इन कैमरों की फीड की निगरानी करेंगे और जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई करेंगे. इस कदम पर टिप्पणी करते हुए उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि सीसीटीवी स्थापित करने की तकनीक का उपयोग रेलवे, ट्रेन यात्रियों और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस पहल से हम न केवल स्टेशनों पर बल्कि पटरियों पर भी आवाजाही पर नजर रख सकेंगे.

एक किमी के दायरे में लगाए जाएंगे सीसीटीवी कैमरे

रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में सीसीटीवी कैमरे रेलवे स्टेशन से एक किमी के दायरे में रखे जाएंगे, जिसे धीरे-धीरे दो स्टेशनों के बीच निगरानी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विस्तारित किया जाएगा. पटरियों से लोहा चोरी करने, दीवारें तोड़ने, पटरियों से क्लैम्प, क्लिप आदि हटाने की कई घटनाओं के बाद आरपीएफ और सुरक्षा टीम ने रेलवे बोर्ड को सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव भेजे थे. इसके बाद रेलवे बोर्ड ने हाल ही में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश जारी किए थे.

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यूपी के प्रयागराज में काम शुरू

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्देशों के अनुपालन में एनसीआर ने प्रयागराज जंक्शन पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम भी शुरू कर दिया है. यहां से जंक्शन के दिल्ली और हावड़ा दोनों छोर की ओर ट्रैक की निगरानी का सिलसिला शुरू हो गया है. इसके अलावा उत्तर रेलवे और उत्तर पूर्व रेलवे समेत देश के सभी 17 रेलवे जोन में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सर्वे किया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि जिन जगहों पर मवेशियों के भागने की घटनाएं ज्यादा होती हैं, उन जगहों को भी चिह्नित कर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रखा जाएगा. फिलहाल, सभी लेवल क्रासिंग पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया भी चल रही है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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