नई दिल्ली : गुजरात के वडनगर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी आज कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे. इनके पहले गुजरात में भाजपा को जोरदार टक्कर देने वाले पाटीदार समुदाय के युवा नेता हार्दिक पटेल पहले ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे. अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या हार्दिक पटेल के साथ मिलकर जिग्नेश मेवानी गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी-शाह के किले में सेंध लगा पाएंगे?
इस सवाल के पीछे अहम कारण यह बताया जा रहा है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान जिग्नेश मेवानी, हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी ने भाजपा को जोरदार टक्कर दी थी. हालांकि, अल्पेश ठाकोर ने भाजपा का दामन थाम लिया है, जबकि जिग्नेश मेवानी अब कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. हार्दिक पटेल पहले ही कांग्रेस में आ चुके हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस की नजर गुजरात के पाटीदार और दलित समुदाय के मतदाताओं पर टिकी है.
हालांकि, गुजरात के तीन युवा नेताओं में से एक अल्पेश ठाकोर ने हालात के साथ समझौता करके भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन जिग्नेश मेवानी ने कभी समझौता नहीं किया. वे लगातार भाजपा के साथ टक्कर लेते रहे. कयास यह लगाया जा रहा है कि प्रशांत किशोर की सलाह पर गुजरात में दलितों (एससी) के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस ने यह किलेबंदी की है.
बता दें कि गुजरात में करीब 7 फीसदी दलित समुदाय के लोग हैं और उनके लिए यहां की 13 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सभी 13 में से ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था. केवल जिग्नेश मेवानी अपनी वडनगर सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. अब कयास यह लगाया जा रहा है कि मेवानी का कांग्रेस में आने से हालात बदल सकते हैं.
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गुजरात में पाटीदार समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा ने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर हार्दिक पटेल के सामने एक सशक्त चुनौती पेश की है. गुजरात में पाटीदार समुदाय के लोगों की संख्या करीब 14 फीसदी है. इस समुदाय के लोग विधानसभा और लोकसभा की एक चौथाई सीट पर हार जीत का फैसला करते हैं. हार्दिक ने आंदोलन खत्म होने के बाद लोकसभा से ठीक पहले कांग्रेस का हाथ थामा था, लेकिन इस चुनाव में पार्टी जीत नहीं मिल पाई थी. यहां तक कि कुछ महीने पहले हुए निकाय चुनाव में भी वह अपना असर दिखाने में विफल रहे. भाजपा ने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर पाटीदार समुदाय के युवा नेता के सामने एक और चुनौती रख दी है.