25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

PM Modi: सरायघाट युद्ध के नायक लचित बरफुकान की 400वीं जयंती का समापन समारोह आज, PM मोदी करेंगे संबोधित

देश 2022 को लचित बरफुकान की 400वीं जयंती वर्ष के रूप में मना रहा है. लचित बरफुकान असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य में एक सेनापति थे. सरायघाट के 1671 के युद्ध में उनके नेतृत्व के लिए उन्हें पहचाना जाता है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य के जनरल लचित बरफुकान की 400वीं जयंती पर साल भर आयोजित कार्यक्रमों के समापन समारोह को आज यानि 25 नवंबर को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को बताया कि निरंतर प्रयास रहा है कि गुमनाम नायकों को उचित तरीके से सम्मानित किया जाए. इससे पहले लचित बरफुकान की 400वीं जयंती वर्ष समारोह का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसी साल फरवरी में असम के जोरहाट में किया था.

अहोम साम्राज्य में सेनापति थे लचित बरफुकान

देश 2022 को लचित बरफुकान की 400वीं जयंती वर्ष के रूप में मना रहा है. लचित बरफुकान असम के पूर्ववर्ती अहोम साम्राज्य में एक सेनापति थे. सरायघाट के 1671 के युद्ध में उनके नेतृत्व के लिए उन्हें पहचाना जाता है, जिसमें औरंगजेब के नेतृत्व वाली मुगल सेना का असम पर कब्जा करने का प्रयास विफल कर दिया गया था. इस विजय की याद में असम में 24 नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है. सरायघाट का युद्ध गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के तटों पर लड़ा गया था.

Also Read: मुस्लिम भजन गायक, ”वनों की विश्वकोश” पद्मश्री से सम्मानित गुमनाम नायकों में शामिल

बरफुकान की सेना ने लड़ी सरायघाट की लड़ाई

पीएमओ ने कहा कि लचित बरफुकान ने 1671 में लड़ी गई सरायघाट की लड़ाई में असमिया सैनिकों को प्रेरित किया, जिसकी वजह से मुगलों को करारी और अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. उसने कहा, लचित बरफुकान और उनकी सेना की ओर से लड़ी गई यह लड़ाई हमारे देश के इतिहास में प्रतिरोध की सबसे प्रेरणादायक सैन्य उपलब्धियों में से एक है.

Also Read: Gujarat Election 2022: मेहसाणा में बोले पीएम मोदी, कांग्रेस ने गुजरात और पूरे देश को बर्बाद कर दिया

लचित बोरफुकन धर्मांध आक्रांताओं से बचाया- शाह

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लचित बरफुकान की 400वीं जयंती पर शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि लचित बोड़फूकन ना होते तो पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा ना होता क्योंकि उस वक्त उनके द्वारा लिए गए निर्णयों और उनके साहस ने न केवल पूर्वोत्तर बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को धर्मांध आक्रांताओं से बचाया. उन्होंने कहा कि लचित बोरफुकन के उस पराक्रम का उपकार पूरे देश, सभ्यता और संस्कृति पर है.

(भाषा- इनपुट के साथ)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें