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Pharma: भारत आने वाले समय में बन सकता है दुनिया का फार्मा हब 

भारत में जैव प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हुआ है. वर्ष 2014 में इस क्षेत्र में लगभग 50 स्टार्टअप थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 11000 से अधिक हो गई है. यह वृद्धि देश के आर्थिक और स्वास्थ्य सेवा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र की क्षमता को प्रदर्शित करती है.

Pharma: देश का फार्मा उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है. भारत का घरेलू फार्मा बाजार 60 बिलियन डॉलर का है और वर्ष 2030 तक यह दोगुना होकर 130 बिलियन डॉलर तक हो सकता है. देश का फार्मा निर्यात मौजूदा समय में 27.8 बिलियन डॉलर है और इस साल के अंत तक इसके 30 बिलियन डॉलर होने की संभावना है. 

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एक आधिकारिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीबीटी की जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) और उत्तर प्रदेश प्रमोट फार्मा काउंसिल (यूपीपीपीसी) के जरिये हुए समझौते के कारण फार्मा, बायोटेक और मेडटेक क्षेत्रों में इनोवेशन, उद्यमिता और निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

यह समझौता केंद्र-राज्य साझेदारी के मॉडल का हिस्सा है. मौजूदा समय में देश में चिकित्सा उपकरण निर्माताओं की संख्या लगभग 800 है और भारत में चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 15 से 20 फीसदी है. 


देश को किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला देश बनाना है लक्ष्य


जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी का तेजी से विकास हुआ है. वर्ष 2014 में इस क्षेत्र में लगभग 50 स्टार्टअप थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 11000 से अधिक हो गई है. यह वृद्धि देश के आर्थिक और स्वास्थ्य सेवा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र की क्षमता को प्रदर्शित करती है. भारत अब टीकों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के तौर पर पहचान बना चुका है. विश्व के 60 फीसदी से अधिक टीके भारत में बनते हैं और 200 से अधिक देश भारत में बने टीके का उपयोग कर रहे हैं. 


उन्होंने कहा कि नया डीबीटी-यूपी जैसे समझौते से विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. साथ ही भारत में निर्मित, विश्व के लिए निर्मित किफायती स्वास्थ्य सेवा समाधान प्रदान करने वाले देश के तौर पर भारत की स्थिति मजबूत होगी. 

किफायती तकनीकों को मिलेगा बढ़ावा

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और बीआईआरएसी के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश एस गोखले ने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ समझौता इनोवेशन के नए रास्ते खोलेगा और किफायती तकनीकों को बढ़ावा देगा. देश की जैव अर्थव्यवस्था लगभग 165 बिलियन अमेरिकी डॉलर की है. राज्यों के साथ समझौता कर इसे और बढ़ाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि राज्य खुद को फार्मा, बायोटेक और मेडटेक के केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

डीबीटी-बीआईआरएसी के सहयोग से लखनऊ में बायोटेक पार्क, ग्रेटर नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क और ललितपुर में बल्क ड्रग एंड फार्मा पार्क जैसी पहलों का विस्तार किया जाएगा ताकि स्टार्टअप्स को विकसित किया जा सके और स्वास्थ्य सेवा देने की प्रक्रिया में परिवर्तनकारी अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके.

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