P-20 Summit: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने दक्षिण अफ्रीका के क्लेनमंड में आयोजित 11वें जी-20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी20) में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. इस दौरान उन्होंने वैश्विक सहयोग और सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को सामने रखते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार साझा किए. तीन दिवसीय इस सम्मेलन में हरिवंश की अध्यक्षता में ‘संपोषणीय विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का दोहन करने’ विषय संबंधी सत्र भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. शिखर सम्मेलन के अलावा, उपसभापति ने जर्मनी, इटली और अन्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की. सम्मेलन का आयोजन इस बार “एकजुटता, समानता और संपोषणीयता” विषय पर केंद्रित रहा.
हरिवंश ने दो अहम कार्यकारी सत्रों, ‘आपदा प्रतिरोधक क्षमता और अनुक्रिया का सुदृढीकरण’ तथा ‘न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना’,को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है, ऐसे में वैश्विक स्तर पर संस्थागत सहयोग और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता बेहद जरूरी है. उन्होंने आपदा प्रबंधन में भारत की उपलब्धियों और प्रयासों को रेखांकित करते हुए अन्य देशों से भी ठोस कदम उठाने का आह्वान किया. अपने संबोधन में उपसभापति ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 ने भारत को आपदा न्यूनीकरण, अनुक्रिया और पुनर्वास के लिए एक मजबूत संस्थागत ढांचा प्रदान किया है. इस कानून के तहत गठित राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) आज विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विकास का लाभ उठाने और इसे नवीन तकनीक के साथ जोड़ने की भारत की क्षमता ने पूर्व चेतावनी प्रणालियों को बेहतर बनाया है. “भारत की चक्रवात चेतावनी प्रणाली अपनी सटीकता और व्यापकता के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है. जनता तक समय पर पूर्व चेतावनियां और अलर्ट पहुंचाने के लिए दामिनी, मौसम, मेघदूत आदि जैसे अनेक नए मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए गए हैं.”
सीडीआरआई की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने की

हरिवंश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहलों का उल्लेख करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) की शुरुआत की थी. यह वैश्विक साझेदारी आपदा सहनशील ढांचे के विकास को बढ़ावा देती है. साथ ही, भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभाई है.
उन्होंने देशों से उच्च शिक्षा में आपदा प्रबंधन संबंधी अध्ययनों को एकीकृत करने, सर्वोत्तम प्रथाओं का एक वैश्विक संग्रह तैयार करने और विकासशील देशों के लिए नवोन्मेषी वित्तपोषण पद्धतियां सुनिश्चित करने का आह्वान किया. साथ ही न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण हेतु वित्त जुटाने संबंधी सत्र में भाग लेने के साथ ही संपोषणीय विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के दोहन पर एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए जर्मनी, इटली और अन्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की.
खनिज संसाधनों पर सत्र की अध्यक्षता

सम्मेलन के दौरान उपसभापति हरिवंश ने ‘संपोषणीय विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का दोहन’ विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता भी की. महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व पर अपने संबोधन में, हरिवंश ने भारत के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) जो कि एक बहु-वर्षीय कार्यनीति है और जो आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक सतत धारणीयता को बढ़ावा देने के लिए घरेलू अन्वेषण, तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को संयोजित करती है, के आधारभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“हमें न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता और साझा जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देने के लिए भी सक्षम मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.”
उन्होंने कहा आज दुनिया को ऊर्जा संक्रमण और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की आवश्यकता है. ऐसे में न केवल अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करना बल्कि वैश्विक स्थिरता और साझा जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देना भी भारत की प्राथमिकता है. उन्होंने सक्षम मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि यही भविष्य की स्थायी अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी.
द्विपक्षीय बैठकें और सहयोग
पी20 शिखर सम्मेलन के इतर उपसभापति ने जर्मनी, इटली, रूस और मेजबान दक्षिण अफ्रीका के संसदीय नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. इन बैठकों में संसदीय सहयोग को बढ़ाने, व्यापार साझेदारी को सुदृढ़ करने, प्रौद्योगिकी और सतत विकास पर विचार-विमर्श हुआ. उन्होंने अपने समकक्षों को हाल ही में भारत द्वारा सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर उठाए गए कदमों से भी अवगत कराया. रूस की फेडरेशन काउंसिल के डिप्टी स्पीकर कांस्टैंटिन कोशेचेव के साथ बैठक में दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की गई. गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका पहली बार जी-20 संसदीय शिखर सम्मेलन की ऐतिहासिक मेजबानी की.

