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Niti Aayog: ऑटो कंपोनेंट के क्षेत्र में देश में है अपार संभावना

दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक होने के बावजूद भारत की वैश्विक ऑटोमोटिव कंपोनेंट में हिस्सेदारी (लगभग 3 प्रतिशत) है. यह कारोबार लगभग 20 बिलियन डॉलर है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट में वैश्विक व्यापार का बड़ा हिस्सा इंजन, ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग सिस्टम से जुड़ा है.

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Niti Aayog: देश में ऑटोमाेबाइल उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है. वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर ऑटोमोबाइल उत्पादन लगभग 94 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया और यह कुल  2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया. भारत की निर्यात में हिस्सेदारी लगभग 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गयी. भारत चीन, अमेरिका और जापान के बाद चौथा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक बन गया है, इसका वार्षिक उत्पादन लगभग 6 मिलियन वाहनों का है. भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र ने विशेष रूप से छोटी कार और उपयोगिता वाहन के क्षेत्र में एक मजबूत घरेलू और निर्यात बाजार के तौर पर खुद को स्थापित किया है. ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों और इसके लागत-प्रतिस्पर्धी कार्यबल के कारण भारत खुद को ऑटोमोटिव विनिर्माण और निर्यात के लिए एक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है. 

उत्पादन प्रक्रिया बन रही है बेहतर

नीति आयोग ने ‘ऑटोमोटिव उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी का सशक्तिकरण’ नाम से जारी रिपोर्ट में बताया है कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में समय के साथ व्यापक बदलाव आया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और रोबोटिक्स जैसी तकनीक उत्पादन प्रक्रियाओं को बेहतर बना रही हैं, जिससे उत्पादकता में सुधार आया है और लागत कम हो रही है. डिजिटल प्रगति न केवल विनिर्माण को बेहतर बना रही है बल्कि स्मार्ट कारखानों और कनेक्टेड वाहनों के इर्द-गिर्द केंद्रित नए व्यवसाय मॉडल को भी बढ़ावा दे रही हैं. इस रिपोर्ट को नीति आयोग के उपाध्यक्ष  सुमन बेरी, डॉ. वीके सारस्वत, डॉक्टर अरविंद विरमानी और बीवीआर सुब्रमण्यम ने जारी किया.    

भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र के सामने चुनौतियां


रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया को चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक होने के बावजूद भारत की वैश्विक ऑटोमोटिव कंपोनेंट में मामूली हिस्सेदारी (लगभग 3 प्रतिशत) है. यह कारोबार लगभग लगभग 20 बिलियन डॉलर है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट में वैश्विक व्यापार का बड़ा हिस्सा इंजन, ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग सिस्टम से जुड़ा है. लेकिन इन उच्च परिशुद्धता वाले क्षेत्रों में भारत की हिस्सेदारी केवल 2-4  फीसदी ही है. भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र को परिचालन लागत, वैश्विक मूल्य श्रृंखला एकीकरण, अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास व्यय आदि के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में ऑटोमोटिव क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्तर पर दखल बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने की बात कही गयी है. 

भारत की हिस्सेदारी तीन फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने का लक्ष्य

आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए अनुसंधान एवं विकास और परीक्षण केंद्रों जैसी सामान्य सुविधाओं के माध्यम से फर्मों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही गयी है. नीति आयोग का 2030 तक भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए विजन महत्वाकांक्षी है, फिर भी इसे हासिल किया जा सकता है. रिपोर्ट में देश के ऑटोमोटिव कंपोनेंट उत्पादन को 145 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का विजन है, जिसमें निर्यात 20 बिलियन डॉलर से बढ़कर 60 बिलियन डॉलर हो जाएगा. इस वृद्धि से लगभग 25 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिक होगा और वैश्विक ऑटोमोटिव मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी 3 से बढ़कर 8 फीसदी हो जाएगी. इस वृद्धि से 2-2.5 मिलियन नए रोजगार अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे इस क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष रोजगार 3-4 मिलियन तक पहुंच जाएगा.

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