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प्रश्नकाल नहीं कराने पर बवाल, विपक्ष का आरोप – संसद को ‘नोटिस बोर्ड’ बनाना चाहती है मोदी सरकार

monsoon session, Question Hour, opposition accused, Modi government, Parliament a notice board संसद के आगामी मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. कोरोना महामारी के इस दौर में पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों का हवाला देते हुए शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है. इस कदम, खासकर प्रश्न काल के निलंबन से, विपक्षी दल बुधवार को भड़क उठे और सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सवाल पूछने के सांसदों के अधिकारों से उन्हें वंचित करना चाहती है.

नयी दिल्ली : संसद के आगामी मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. कोरोना महामारी के इस दौर में पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों का हवाला देते हुए शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है. इस कदम, खासकर प्रश्न काल के निलंबन से, विपक्षी दल बुधवार को भड़क उठे और सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सवाल पूछने के सांसदों के अधिकारों से उन्हें वंचित करना चाहती है.

उनका कहना है ऐसा इसलिए किया गया है ताकि विपक्षी सदस्य अर्थव्यवस्था और कोरोना महामारी पर सरकार से सवाल न पूछ पाएं. प्रश्नकाल की व्यवस्था को कार्यवाही से निलंबित किए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने आरोप लगाया कि सरकार देश की संसद को ‘नोटिस बोर्ड’ बनाने की कोशिश में है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से सवाल करना संसदीय लोकतंत्र के लिए ऑक्सीजन की तरह होता है और प्रश्न काल से जुड़े इस निर्णय को उचित नहीं ठहराया जा सकता.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पिछले हफ्ते लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि संसद सत्र में सदस्यों के प्रश्न पूछने और मुद्दे उठाने के अधिकार में कटौती नहीं की जाए. कटौती करना जन प्रतिनिधियों के हित में नहीं होगा.

तृणमूल कांग्रेस ने सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि विपक्ष के सदस्यों को अर्थव्यवस्था और महामारी पर सवाल करने का अवसर दिया जाए. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस संबंध में ट्वीट किया, सांसदों को संसद में प्रश्न काल वाले सवाल 15 दिन पहले जमा करने होते हैं. सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है. इसलिये प्रश्न काल रद्द हो गया? विपक्षी सांसदों का सवाल पूछने का अधिकार चला गया. 1950 के बाद पहली बार जब संसद के कामकाज के घंटे पहले वाले ही हैं तो प्रश्न काल क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना.

भाकपा सांसद बिनय विश्वम ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर कहा है कि प्रश्नकाल और गैर-सरकारी कामकाज स्थगित किया जाना ‘अनुचित’ है और उन्हें तत्काल बहाल किया जाना चाहिए. विश्वम ने एक बयान में कहा कि ऐसे समय, जब देश में कई घटनाक्रम हो रहे है, इन संसदीय प्रक्रियाओं को निलंबित करने से सरकार के ‘इरादे पर गंभीर सवाल’ उठता है. उन्होंने कहा, ‘इन बदलावों की शुरुआत कर सरकार ने प्रभावी रूप से यह सुनिश्चित किया है कि संसद और लोगों के प्रति उसकी जवाबदेही समाप्त हो जाए.

इधर सरकार ने विपक्ष के नेताओं से संपर्क कर प्रश्नकाल न लिए जाने की मजबूरियों से अवगत कराया. उनका कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और ओ’ब्रयान सहित विपक्ष के कई अन्य नेताओं से फोन पर चर्चा की.

गौरतलब है कि लोकसभा में प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से 12 बजे के बीच होता है जिसमें सदस्य मंत्रियों से संबंधित विभागों से जुड़े प्रश्न पूछते हैं. इसके बाद शून्यकाल होता है जिसमें सदस्य अपने क्षेत्र अथवा जनहित के दूसरे मुद्दे उठाते हैं.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

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