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मणिपुर हिंसा: आप सांसद संजय सिंह के निलंबन पर बवाल, संसद परिसर में विपक्षी पार्टियों ने पूरी रात दिया धरना

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले तीन दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई.

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों के नेता मणिपुर के विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के निलंबन के खिलाफ सोमवार को संसद परिसर में पूरी रात धरने पर बैठे रहे. विपक्षी नेताओं का यह धरना सोमवार को दिन के समय शुरू हुआ और पूरी रात जारी रही. सांसद आज भी प्रदर्शन करते रहेंगे.

धरने पर बैठे संजय सिंह ने पीएम मोदी से मणिपुर मामले में बयान देने की मांग की

धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के निलंबित सांसद संजय सिंह ने कहा, कल पूरी रात हमलोग गांधी प्रतिमा के सामने बैठे रहे. हमारी एक ही मांग है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कि उनको मणिपुर हिंसा पर जवाब देना होगा. देश का एक ऐसा हिस्सा जो हमारा बॉर्डर क्षेत्र में स्थित है, वहां पिछले 80-90 दिनों से हिंसा जारी है, तो प्रधानमंत्री खामोश क्यों रह सकते हैं. देश के केंद्रीय मंत्री का घर जला दिया गया, राज्य की महिला मंत्री का घर जला दिया गया. छोटे-छोटे बच्चों, बुजुर्गों की हत्या हो रही है. महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है. दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराया गया. उसमें एक महिला है, जिसका पति करगिल युद्ध में देश के लिए लड़ा. उसका बयान सामने आया है कि उसने देश को बचा लिया, लेकिन अपनी पत्नी की लाज को नहीं बचा पाया. एक जवान का ऐसा बयान पूरे देश को शर्मसार करने वाला है. सांसद संजय सिंह ने कहा, आज हमें करगिल योद्धा के साथ खड़े होने की जरूरत है, मणिपुर की महिलाओं के साथ खड़े होने की जरूरत है. इसलिए हमलोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रधानमंत्री से मांग कर रहे हैं कि वो संसद में आयें और मणिपुर मामले पर बयान दें. मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए संजय सिंह ने कहा कि उनका धरना लगातार जारी रहेगा.

क्यों विरोध प्रदर्शन में बैठे हैं विपक्षी पार्टियां ?

दरअसल आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सोमवार को उच्च सदन में हंगामा और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने को लेकर वर्तमान मानसून सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया गया. सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल में सिंह को निलंबित करने की घोषणा की. इससे पहले आसन के समीप आए सिंह के नाम का सभापति ने उल्लेख किया.

मणिपुर मुद्दे पर पीएम मोदी के बयान पर संसद में हंगामा जारी

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले तीन दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई. पिछले साल जुलाई में सांसदों ने पूरी रात धरना उस समय दिया था जब विपक्ष के 20 राज्यसभा सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था. प्रदर्शन कर रहे नेताओं ने कहा, विपक्षी दलों में पूरी एकजुटता है. यह संजय सिंह के निलंबन के खिलाफ है। हम इस मांग को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर बयान दें. ‘इंडिया’ के घटक दलों की मांग है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर बयान देकर चर्चा की शुरुआत करें.

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गतिरोध खत्म करने के प्रयास के तहत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की खरगे से बात

सूत्रों का कहना है कि गतिरोध खत्म करने के प्रयास के तहत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ही द्रमुक नेता टी आर बालू और तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय से बात की तथा उन्हें इस बात से अवगत कराया कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है. सूत्रों ने बताया कि विपक्ष का कोई नेता अपनी इस मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बयान देना चाहिए.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मणिपुर मामले पर चर्चा के लिए सरकार तैयार

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार इस (मणिपुर हिंसा) बेहद संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा को तैयार है और विपक्ष से आग्रह है कि वे चर्चा होने दें और सच्चाई सामने आने दें. शाह ने कहा, सदस्यों से आग्रह है कि बहुत संवेदनशील मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष..दोनों ओर के सदस्यों ने चर्चा की मांग की है। मैं सदन में चर्चा के लिए तैयार हूं. उन्होंने हैरत जताते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि विपक्ष संसद में चर्चा क्यों नहीं होने दे रहा है? गृह मंत्री ने कहा, मेरा विपक्ष के नेताओं से आग्रह है कि चर्चा होने दें और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पूरे देश के सामने सच्चाई आने दें.

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मणिपुर वायरल वीडियो के मामले में 14 और लोगों की पहचान

मणिपुर पुलिस ने दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न संबंधी वीडियो के मामले में 14 और लोगों की पहचान की है और उन्हें गिरफ्तार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पुलिस चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई इस घटना के वायरल हुए वीडियो के संबंध में छह लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. पुलिस ने बताया कि उसने 14 अन्य लोगों की पहचान की है और उन्हें गिरफ्तार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इन दोनों महिलाओं का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया गया था और घटना का 26 सेकंड का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था. वीडियो में नजर आ रही महिलाओं में से एक महिला असम रेजीमेंट में सूबेदार के तौर पर सेवाएं दे चुके और करगिल युद्ध लड़ चुके सेना के एक पूर्व जवान की पत्नी है. इस घटना के संबंध में कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस थाने में 21 जून को शिकायत दर्ज कराई गई थी.

केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के आवास पर फिर हुआ हमला

केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के यहां स्थित आवास के बाहर महिलाओं की एक रैली ने उस वक्त उग्र रूप धारण कर लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने उस पर (आवास पर) पथराव किया। प्रदर्शकारी, मंत्री से जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिति पर संसद में बयान देने की मांग कर रहे थे. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री सिंह के आवास पर दो महीने में हुआ यह दूसरा हमला है. इस बीच, मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने राज्य में शांति बहाल करने की मांग करते हुए दिन में एक रैली निकाली. पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे क्योंकि युवक उस इलाके से गुजर रहे थे, जिसमें उन्हें रैली करने की अनुमति नहीं थी. कांगपोकपी जिले में चार मई को हुई एक घटना का वीडियो सामने आने के कुछ दिन बाद ये घटनाएं हुई हैं. वीडियो में, भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो के सामने आने के बाद देशभर में रोष व्याप्त हो गया. मंत्री के आवास पर जिस समय हमला हुआ, तब वहां कोई भी मौजूद नहीं था और मकान को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा.

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क्या है मामला

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था. जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी. जिसमें अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 4 मई को 1000 लोगों की भीड़ ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराया और उनके साथ गैंगरेप भी किया गया. जिसका वीडियो 19 जुलाई को देश के सामने आया. जिसके बाद देशभर में आक्रश भड़क उठी. मणिपुर में हिंसा और प्रदर्शन के मामले और बढ़ गये. सड़क से संसद तक मणिपुर मुद्दे पर बवाल किया जा रहा है. इस मामले को लेकर मणिपुर की एन बिरेन सिंह सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. विपक्षी पार्टियों इस मामले पर पीएम मोदी को संसद में बयान देने की लगातार मांग कर रही हैं.

मणिपुर में क्या है मेइती और कुकी आदिवासियों की स्थिति

मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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