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कोरोना वायरस : विनाशकारी जैविक हथियारों पर लगे रोक, UN में भारत की मांग

भारत ने शुक्रवार को जोर दिया कि व्यापक नुकसान पहुंचाने वाले विनाशकारी जैविक हथियारों के उत्पादन पर प्रतिबंध संबंधी वैश्विक संधि का सख्ती से पालन किया जाए.

नयी दिल्ली : भारत ने शुक्रवार को जोर दिया कि व्यापक नुकसान पहुंचाने वाले विनाशकारी जैविक हथियारों के उत्पादन पर प्रतिबंध संबंधी वैश्विक संधि का सख्ती से पालन किया जाए. इसके साथ ही, भारत ने क्षेत्र में नये वैज्ञानिक घटनाक्रम से उत्पन्न चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किये जाने की जरूरत को भी रेखांकित किया. जैविक और घातक हथियार संधि (बीटीडब्ल्यूसी) लागू होने की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत ने जैविक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने का फिर से आह्वान करते हुए तेजी से फैलते कोरोना वायरस और इसके वैश्विक प्रभाव का भी उल्लेख किया.

बिना विस्तृत ब्यौरा दिये विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्थागत मजबूती सहित अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इसमें कहा गया है कि भारत संधि में शामिल अन्य सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है, ताकि जैव-खतरों और जैव-आपात स्थितियों से निपटने में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए आंकड़े जुटाए जा सकें.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का मानना ​​है कि बीडब्ल्यूसी को नये और उभरते वैज्ञानिक और तकनीकी घटनाक्रम से उत्पन्न चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देना चाहिए. इसमें कहा गया है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण के संदर्भ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका’ पर एक वार्षिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसे सर्वसम्मति से अपनाया गया है.

इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से महामारी के वैश्विक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव से डब्ल्यूएचओ की संस्थागत मजबूती सहित अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता रेखांकित होती है. कोरोना वायरस महामारी चीनी शहर वुहान में शुरू हुई थी और इससे दुनिया भर में 21,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 150 देशों में करीब 500,000 लोग इससे संक्रमित हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वार्षिक प्रस्ताव के माध्यम से भविष्य में आतंकवादियों द्वारा जैविक हथियारों के रूप में सूक्ष्मजीवों के संभावित उपयोग से होने वाले खतरों को उजागर करता रहा है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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