Illegal Immigrants : मोगा जिले के धर्मकोट के पंडोरी अरियान गांव के 21 वर्षीय जसविंदर सिंह की कहानी बहुत दुखी करने वाली है. अपने परिवार की जमीन और दो कमरों का घर गिरवी रखकर अमेरिका की अवैध यात्रा उसने शुरू की. परिवार को 44 लाख रुपये जुटाने के लिए अपनी भैंसें भी बेचनी पड़ीं, जो उन्होंने जसविंदर को अमेरिका पहुंचाने के लिए एक एजेंट को दिए. इस संबंध में अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की है.
खबर के अनसार, शनिवार की आधी रात के करीब जसविंदर अमेरिका द्वारा निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों के दूसरे बैच में शामिल थे. अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद ही वह फिर से अपनी पगड़ी पहन पाए. 27 जनवरी को अवैध रूप से अमेरिका-मेक्सिको सीमा पार करने पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के करीब 20 दिन बाद उनके सिर पर पगड़ी नजर आई.
पगड़ी से फांसी लगा लोगे तो जिम्मेदार कौन होगा : अमेरिकी अधिकारी ने कहा
जसविंदर ने कहा, “27 जनवरी को जैसे ही मुझे हिरासत में लिया गया और हिरासत केंद्र में ले जाया गया, उन्होंने मुझसे मेरी पगड़ी सहित सभी कपड़े उतारने को कहा. हमें केवल टी-शर्ट, लोअर, मोजे और जूते पहनने की अनुमति थी. उन्होंने हमारे जूतों के फीते भी उतार दिए. मैंने और दूसरे सिख युवकों ने उनसे कम से कम हमारी पगड़ियां लौटाने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने कहा, ‘अगर तुममें से कोई भी खुदकुशी कर लेगा तो कौन जिम्मेदार होगा?’ जितने दिन हम हिरासत केंद्र में रहे, हमें पगड़ी पहनने की अनुमति नहीं थी. अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद ही मुझे अपना सामान वापस मिला. मैंने अपने सिर पर परना (सिख पुरुषों द्वारा सिर को ढकने के लिए पहना जाने वाला कपड़ा) लपेटा.”
अब हम 44 लाख रुपये के कर्ज में डूबे : जसविंदर
जसविंदर ने कहा कि वह अपने परिवार की मदद के लिए अमेरिका जाना चाहता था, क्योंकि उसके पिता दिल के मरीज थे. अब काम नहीं कर सकते थे. उसने कहा कि अब हम 44 लाख रुपये के कर्ज में डूबे हुए हैं. हमें नहीं पता कि हम इसे कैसे चुकाएंगे. हमने अपना घर भी गिरवी रख दिया है. जसविंदर ने कहा, ”पिछले साल दिसंबर में घर से निकला था. स्पेन, अल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला और मैक्सिको होते हुए यूएस-मेक्सिको सीमा पर पहुंचा था.”
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26 जनवरी को सीमा पर पहुंचा : जसविंदर
जसविंदर ने कहा, ”मैं 26 जनवरी को सीमा पर पहुंचा था, लेकिन भारी बारिश के कारण मेरे एजेंट ने मुझे 27 जनवरी को सीमा पार करवा दिया. मैं कुछ ही मिनटों में पकड़ा गया. मेरे एजेंट ने यह भी वादा किया था कि हिरासत में लिए जाने के बाद वह मुझे हिरासत केंद्र से बाहर निकाल देगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब मुझे अपना पैसा वापस चाहिए. पंजाब सरकार को उसे पैसे वापस करवाने चाहिए.”