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Friday, March 29, 2024

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Explainer Monkeypox: मंकीपॉक्स का संक्रमण बढ़ा रहा है चिंता, जानिए कैसे भारत में फैल रही है यह बीमारी

Explainer Monkeypox: मंकीपॉक्स का असर मनुष्यों से मनुष्यों में होता है खासतौर पर इसका प्रसार मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है, आमतौर पर संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है.

Explainer Monkeypox: दुनिया के कई देशों के साथ साथ अब भारत में भी मंकी पॉक्स की दस्तक हो चुकी है. इस जानलेवा बीमारी की चपेट में अबतक चार लोग आ भी चुके हैं जिनका इलाज चल रहा है. चार मामलों में तीन केरल से हैं और एक केस दिल्ली का है. सबसे बड़ी बात कि दिल्ली के जिस मरीज में मंकी पॉक्स के लक्षण मिले हैं उसका हालिया विदेश यात्रा का कोई रिकार्ड नहीं रहा है. हालांकि उसने हाल में हिमाचल प्रदेश के मनाली में एक ‘स्टैग पार्टी’ (विशेष रूप से पुरुषों की पार्टी) में भाग लिया था. ऐसे में यह बात चिंता और बढ़ा रही है.

मंकीपॉक्स क्या है

अब सवाल उठता है कि आखिर मंकीपॉक्स क्या है और क्यों इसे इतना खतरनाक माना जा रहा है. दरअसल मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पूर्व में देखे गए लक्षणों के समान होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है. मंकीपॉक्स वायरस के दो अलग-अलग आनुवंशिक समूह हैं- सेंट्रल अफ्रीकन (कांगो बेसिन) स्वरूप और वेस्ट अफ्रीकन. कांगो बेसिन स्वरूप पूर्व में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बना है और इसे अधिक संक्रामक माना जाता है.

मंकीपॉक्स के क्या लक्षण हैं

गौरतलब है कि मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहते हैं. सामान्य आबादी में इससे संक्रमित मरीजों में मृत्यु दर का अनुपात ऐतिहासिक रूप से शून्य से 11 फीसदी के बीच रहा है और छोटे बच्चों में इसका प्रभाव अधिक दिखा है. हाल के दिनों में मृत्यु दर का अनुपात तीन से छह फीसदी के आसपास रहा है. बात करें मंकीपॉक्स के लक्षणों की तो इसमें आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, तीन सप्ताह तक चकत्ते, गले में खराश, खांसी और फफोले होते हैं. लक्षणों में घाव शामिल हैं, जो आमतौर पर बुखार की शुरुआत के एक से तीन दिनों के भीतर शुरू होते हैं, लगभग दो से चार सप्ताह तक रहते हैं और अक्सर उपचार जारी रहने तक पीड़ादायक होते है. इनमें खुजली भी होती है. मंकीपॉक्स के वायरस का हथेली और तलवों में विशेष प्रभाव दिखता है.

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है

मंकीपॉक्स का असर मनुष्यों से मनुष्यों में होता है खासतौर पर इसका प्रसार मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है, आमतौर पर संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है. यह शरीर से निकले तरल पदार्थ या घाव के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने से फैल सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों के माध्यम से. इसके अलावा चूहे, गिलहरी और बंदर, वानर सहित छोटे संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से या उनके मांस के जरिए यह पशु से मानव में फैल सकता है.

संक्रमण की अवधि और प्रसार क्षमता की अवधि क्या है

मंकीपॉक्स में संक्रमण की अवधि (संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत से ठीक होने तक की अवधि) आमतौर पर छह से 13 दिन होती है लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक भी रह सकती है. संक्रमण की अवधि शरीर में दाने निकलने से एक से दो दिन पहले शुरू होती है और यह तब तक बनी रहती है जब तक कि घाव की सभी पपड़ी सूखकर गिर न जाए या कम न हो जाए.

क्या मंकीपॉक्स यौन संचारित है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए कहा, ‘फिलहाल, यह एक ऐसा प्रकोप है जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों के बीच केंद्रित है, विशेष रूप से उन लोगों में जो कई लोगों के साथ यौन संबंध रखते हैं. इसका मतलब है कि यह एक प्रकोप है जिसे सही समूहों में सही रणनीतियों के साथ रोका जा सकता है.’

क्या मंकीपॉक्स एक नयी बीमारी है

दरअसल मंकी पॉक्स कोई नयी बीमारी नहीं है. मनुष्यों में मंकीपॉक्स की पहचान पहली बार 1970 में कांगो गणराज्य में हुई थी. तब से, कांगो बेसिन के ग्रामीण, वर्षावन क्षेत्रों से अधिकांश मामले सामने आए हैं, विशेष रूप से कांगो गणराज्य में और पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका से संक्रमण के मामले तेजी से सामने आए हैं. 1970 के बाद से 11 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं. 2003 में अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का प्रकोप अमेरिका में आया था.

इस प्रकोप के कारण अमेरिका में मंकीपॉक्स के 70 से अधिक मामले सामने आए. सितंबर 2018, दिसंबर 2019, मई 2021 और मई 2022 में नाइजीरिया से इजराइल और ब्रिटेन जाने वाले यात्रियों में, मई 2019 में सिंगापुर और नवंबर 2021 में अमेरिका में मंकीपॉक्स की भी सूचना मिली है. इस साल मई में कई गैर प्रकोप वाले देशों में मंकीपॉक्स के मामलों की पहचान की गई. विश्व स्तर पर अब तक 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं.

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