Delhi Mayor Election: दिल्ली की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद नगर निगम का चुनावी समीकरण बदल चुका है. रेखा गुप्ता की अगुवाई में भाजपा सरकार बनने के बाद से नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर होती गयी. दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के लिए के लिए सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन आम आदमी पार्टी ने मेयर का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया. जबकि भाजपा की ओर से सरदार राजा इकबाल सिंह को मेयर उम्मीदवार और जय भगवान यादव को डिप्टी मेयर उम्मीदवार घोषित किया. नगर निगम के संख्या बल पर गौर करें तो भाजपा का मेयर बनना तय है.
ऐसे में भाजपा का पलड़ा भारी देख आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक तौर पर सहानुभूति हासिल करने के लिए चुनाव से दूरी बनाने का फैसला लिया. गौर करने वाली बात है कि पूर्व में आम आदमी पार्टी के नेता हर स्तर पर भाजपा से मुकाबला करने का दावा करते रहे हैं. लेकिन दिल्ली में सरकार बदलने के बाद आम आदमी पार्टी की राजनीतिक ताकत दिल्ली में लगातार कम होती दिख रही है. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव से दूरी बनाकर यह संदेश दे दिया है कि दिल्ली की राजनीतिक लड़ाई में आप कमजोर हो रही है. मेयर चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन संख्या बल को देखते हुए आप चुनाव से खुद को दूर बताकर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रही है. लेकिन अब आम आदमी पार्टी की यह रणनीति विफल हाे रही है.
आम आदमी पार्टी खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करने में जुटी
दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद दिल्ली का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल चुका है. आम आदमी पार्टी को विश्वास नहीं था कि उनकी सरकार चुनाव हार सकती है. लेकिन चुनाव परिणाम के बाद भाजपा की जीत के बाद दिल्ली का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया. दिल्ली में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी की राह भी मुश्किल होती गयी. हालांकि हार के बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली की राजनीति में कमजोर होती दिख रही है. मेयर चुनाव के हार को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव से दूरी बनाने का निर्णय लिया है. सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के प्रेस कांफ्रेंस में दिए बयान से जाहिर हो गया कि नगर निगम की सत्ता पर काबिज होना संभव नहीं है. ऐसे में आतिशी ने भाजपा पर पार्षदों को तोड़ने का आरोप लगाया.
लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों का पूरा भरोसा जताने के बाद पार्टी ने चुनाव से दूरी क्यों बनायी. चुनाव में हार को देखते हुए आम आदमी पार्टी राजनीतिक लाभ लेने के लिए खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है. आम आदमी पार्टी के नगर निगम की सत्ता पर काबिज होने के बाद खुद को बेहतर विकल्प के तौर पर साबित करने में कामयाब नहीं हो सकी. ऐसा पहली बार होगा कि भाजपा दिल्ली में नगर निगम, राज्य और केंद्र की सत्ता पर काबिज है.
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