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Coronavirus Nizamuddin News : मौलाना साद केस की जांच NIA से कराने की मांग, 28 मई तक टली सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने तबलीगी जमात प्रमुख मौलाना साद (Tablighi Jamaat chief Maulana Saad) के मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को समयबद्ध तरीके से स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई 28 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है. दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि जांच ठीक तरीके से चल रही है.

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने तबलीगी जमात प्रमुख मौलाना साद के मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को समयबद्ध तरीके से स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई 28 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है. दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि जांच ठीक तरीके से चल रही है.

मालूम हो 11 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर मांग की गई थी कि तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद के खिलाफ दर्ज मामले की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जाए.

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साद के खिलाफ कोरोना वायरस को रोकने के लिये लोगों के बड़े जमावड़े को रोकने के लिये जारी आदेश का कथित उल्लंघन कर संगठन के अनुयायियों का सम्मेलन आयोजित करने पर मामला दर्ज हुआ था.

उच्च न्यायालय में अत्यावश्यक आधार पर सुनवाई के लिये दायर की गई याचिका को आज के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुनवाई 28 मई तक के लिए स्‍थगित कर दिया है. याचिका में कहा गया कि काफी समय बीत जाने के बावजूद दिल्ली पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने में विफल रही है. मुंबई स्थित वकील घनश्याम उपाध्याय ने यह याचिका दायर की.

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उन्होंने अदालत से केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को मामले की जांच अपराध शाखा से एनआईए को सौंपे जाने का निर्देश देने की मांग की है. याचिका में कहा गया कि एनआईए इस मामले की समयबद्ध तरीके से जांच करे और उच्च न्यायालय मामले इसकी निगरानी की जाए.

उपाध्याय की तरफ से अधिवक्ता यश चतुर्वेदी ने यह याचिका दायर की. इसमें आरोप लगाया गया कि “मीडिया में आई खबरों और दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों से यह अब स्वत:सिद्ध है कि मौलाना साद और उसके साथियों ने कोरोना वायरस को देश के विभिन्न हिस्सों में प्रसारित करने की साजिश रची जिसका परोक्ष और गलत इरादा देश भर में बड़े पैमाने पर मौतें था जिससे इस खरनातक वायरस के प्रसार को रोकने के सरकार के प्रयास पटरी से उतर जाएं.

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने 31 मार्च को मौलाना साद समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. यह शिकायत निजामुद्दीन पुलिस थाने के एसएचओ की शिकायत पर दर्ज की गई थी. प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन के मामले में साद के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

याचिका में कहा गया, यह साफ है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस जो अपराध शाखा है वह काफी समय बीत जाने और आरोपी की तस्वीरें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आने के बावजूद मौलाना साद का पता लगाने, उसे पकड़ने और गिरफ्तार करने में बुरी तरह विफल रही है.

इसमें दावा किया गया, मौलाना साद के लिये इतने लंबे समय तक देशकी राजधानी में खुद को छिपाकर रखना वस्तुत: असंभव है. दिल्ली पुलिस का प्रदर्शन शुरू से ही बेहद लचर रहा. दिल्ली पुलिस की विफलता इसी बात से स्पष्ट है कि बंद और कर्फ्यू जैसी स्थिति के बावजूद मौलाना साद देश की राजधानी में तबलीगी जमात के हजारों लोगों का सम्मेलन कर रहा था. इसमें कहा गया कि तबलीगी जमात के लोग न सिर्फ देश भर में बंद का उल्लंघन कर न सिर्फ खतरनाक संक्रमण फैला रहे थे बल्कि मरीजों का इलाज कर रहे कोरोना योद्धाओं पर भी हमले कर रहे थे.

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