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दिल्ली के किसान ने 10 प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के लिए खरीदे 68 हजार के हवाई जहाज के टिकट

लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीनों से फंसे इन 10 प्रवासियों का घर लौटने का सपना साकर हो गया .आखिरकार वे अपने घर वापस लौट रहे है.दिल्ली के एक किसान की बदौलत ये बिहार के 10 प्रवासी मजदूर घर जा रहे है जिसने लगभग 68000 की हवाई यात्रा की टिकट खरीदें है.

नयी दिल्ली : लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीनों से फंसे इन 10 प्रवासियों का घर लौटने का सपना साकर हो गया .आखिरकार वे अपने घर वापस लौट रहे है.दिल्ली के एक किसान की बदौलत ये बिहार के 10 प्रवासी मजदूर घर जा रहे है जिसने लगभग 68000 की हवाई यात्रा की टिकट खरीदें है.

इंडिया टूडे की खबर के मुताबिक ‘ ये प्रवासी मजदूर अप्रैल में घर जाने की योजना बना रहे थे.लेकिन उन्हें अब विश्वास नहीं हो रहा है कि वे हजारों किलोमीटर पैदल या साईकिल से नहीं बल्कि हवाई जहाज से घर जा रहें है.

लखिंदर राम जो अपने बेटे के साथ अपने गांव लौट रहे है ने कहा कि ‘ मैंने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन हवाई जहाज से यात्रा करूंगा.मेरे पास खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है.लेकिन इस बात से मैं घबराया हुआ हूं कि कल हवाई अड्डे पर पहुंचने पर मुझे क्या करना है

जब लखिंदर ने अपनी पत्नी को यह बताने के लिए फोन किया वह हवाई जहाज से बिहार वापस आ रहा है,तो उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ जब उसने किसान से बात की तब जाकर उसे यकीन हुआ.27 साल से पप्पन के लिए काम कर रहे 50 वर्षीय लखिंदर ने कहा कि 25 मार्च से तालाबंदी शुरू होने के बाद से यह किसान हमारे लिए भोजन और आवास की व्यवस्था कर रहे है.

पप्पन ने कहा कि उन्होंने 68,000 रुपये के टिकट बुक किए हैं और प्रत्येक को 3,000 रुपये नकद भी दे रहे हैं, ताकि उनके गृह राज्य में आने पर उन्हें कोई परेशानी न हो.वह सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स का पालन करते हुए अपने सभी कर्मचारियों को गुरुवार की सुबह अपने वाहनों में IGI एयरपोर्ट तक छोड़ देंगे.

पप्पन ने कहा इन 10 श्रमिकों ने ट्रेन से अप्रैल के पहले सप्ताह में बिहार में अपने घरों के लिए प्रस्थान किया होगा, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे नहीं जा सके.उन्होंने कहा कि उन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेन में उन्हें उनके गृह राज्य में वापस भेजने के कई प्रयास किए, लेकिन ऐसा करने का प्रबंधन नहीं कर सके.उन्होंने कहा मैंने अपने कार्यकर्ताओं को हजारों मील चलने की अनुमति देकर जोखिम नहीं उठाया क्योंकि इससे उनकी जान खतरे में पड़ सकती थी क्योंकि हमें इन दिनों पता चल रहा है कि घर जाते समय प्रवासी सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा रहे है.

पप्पन ने कहा कि उन्होंने अपनी सभी चिकित्सा औपचारिकताओं को पूरा किया है, निर्दिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार, इसलिए उनके पास एक अच्छी यात्रा है.मैं 1993 से मशरूम की खेती कर रहा हूं, जिसमें अगस्त और मार्च के बीच का मौसम है.

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