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Defense: वायु सेना के लिए पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने के लिए एलएंडटी और बीईएल मिलकर करेंगे काम

देश में ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए लार्सन एंड टुब्रो(एलएंडटी) और रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(बीईएल) के बीच रणनीतिक साझेदारी हुई है. इस साझेदारी का मकसद भारतीय वायुसेना के महत्वाकांक्षी एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम के तहत स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान का निर्माण करना है.

Defense: भारत लड़ाकू विमानों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन के पास लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता है और इन देशों के पास पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं. भारतीय वायु सेना के पास अभी भी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है और खरीद के लिए कई देशों से बातचीत चल रही है.

पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए वायु सेना के पास अत्याधुनिक लड़ाकू विमान होना जरूरी है. मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही है. इस कड़ी में देश में ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए लार्सन एंड टुब्रो(एलएंडटी) और रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(बीईएल) के बीच रणनीतिक साझेदारी हुई है.

इस साझेदारी का मकसद भारतीय वायुसेना के महत्वाकांक्षी एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम के तहत स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान का निर्माण करना है. 
बुधवार को बीईएल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संयुक्त साझेदारी के तहत सरकार के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा जारी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट में हिस्सा लेगी. अगले कुछ हफ्ते में प्रक्रिया पूरी हो जायेगी.

साझेदारी के तहत किन उपकरणों का होगा निर्माण

साझेदारी के तहत दोनों कंपनियां मिलकर एएमसीए कार्यक्रम के लिए जरूरी सिस्टम और तकनीक का विकास करेंगे. साझेदारी का मकसद 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए जरूरी जटिल प्रणालियों का स्वदेशी निर्माण करना है. एलएंडटी को रणनीतिक रक्षा और एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म बनाने का अनुभव है, जबकि बीईएल के पास  रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रणालियों के विकास का अनुभव है.

दोनों अपनी विशेषज्ञता के आधार पर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के उपकरण का निर्माण कर एकीकरण पर काम करेंगे. यह विमान के लिए जरूरी एडवांस एवियोनिक्स, रडार और संचार प्रणालियों को विकसित करेगी. दोनों कंपनियों के पास पहले से ही भारत के हल्के लड़ाकू विमान कार्यक्रम में मिलकर योगदान देने का अनुभव है. इस साझेदारी पर एलएंडटी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमण्यम ने कहा कि इससे देश की रक्षा क्षमता के आधुनिकीकरण करने की गति तेज होगी. साथ ही देश की रक्षा जरूरतों को तय समय में पूरा करने में मदद मिलेगी. वहीं बीईएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मनोज जैन ने कहा कि दोनों कंपनियों का सहयोग रक्षा क्षेत्र के लिए अहम है. दोनों कंपनियां मिलकर वायु सेना की जरूरतों को आने वाले समय में पूरा करने में अहम योगदान देने का काम करेगी. 

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