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Defense: देश को हर साल 35-40 लड़ाकू विमान की है जरूरत

वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के मुताबिक वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए. जैसे टाटा-एयरबस के बीच ट्रांसपोर्ट प्लेन सी-295 बनाने के लिए समझौता हुआ है, वैसा ही काम लड़ाकू विमान के निर्माण के लिए किए जाना चाहिए.

Defense: देश की वायुसेना को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल 35-40 लड़ाकू विमान की जरूरत है. वायु सेना के पुराने हो चुके मिग, जगुआर, सुखोई को चरणबद्ध तरीके से वायुसेना के बेड़े से हटाना है. इन विमानों को वायुसेना के बेड़े में 1980 के दौर में शामिल किया गया था. इन लड़ाकू विमानों को वर्ष 2029-30 तक सेवा से हटाना है, लेकिन वायुसेना को तय समय के मुताबिक विमान उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि वायुसेना को हर साल दो स्क्वाड्रन का निर्माण करना है. एक स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं. ऐसे में वायु सेना को हर साल 36 लड़ाकू विमानों की जरूरत है.

क्षमता का विकास अचानक नहीं हो सकता है. वायुसेना की मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए लड़ाकू विमान की जरूरत है. साथ ही भविष्य में पुराने हो चुके लड़ाकू विमानों को सेवा से हटाने की बाद की स्थिति का भी ख्याल रखना है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) ने अगले साल 24 तेजस जेट देने का वादा किया है. वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए. जैसे टाटा-एयरबस के बीच ट्रांसपोर्ट प्लेन सी-295 बनाने के लिए समझौता हुआ है, वैसा ही काम लड़ाकू विमान के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए. 


क्यों जरूरी है लड़ाकू विमान

वायुसेना को जरूरत के हिसाब से 42 स्क्वाड्रनहोना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या 30-31 के आसपास है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि देश की लड़ाकू विमान की जरूरत को निजी क्षेत्र भी पूरा कर सकते हैं. आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र विदेशी कंपनियों के साथ काम कर सकती है. उन्होंने कहा कि वायुसेना स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दे रही है. वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है, जो वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के उपाय सुझाएगी. मौजूदा समय में लगभग 250 लड़ाकू विमान अपनी उम्र को पूरा कर चुके हैं और उन्हें अपग्रेड कर इस्तेमाल किया जा रहा है. चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए वायुसेना का सशक्त होना जरूरी है.

आने वाले समय में तकनीक तेजी से बदलेगी और इसके लिए वायुसेना को तैयार रहना होगा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के हाल में हुए अमेरिकी दौरे में अमेरिका ने भारत को एफ-35 विमान मुहैया कराने की पेशकश की है. आने वाले समय में भारत-अमेरिका के बीच इस विमान सौदे को लेकर बातचीत होने की संभावना है. इसके अलावा भारत फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, स्वीडन जैसे देशों से भी लड़ाकू विमान के खरीद को लेकर बातचीत कर रहा है.

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