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Dalai Lama Birthday: जानें कैसे चुने जाते हैं दलाई लामा और क्यों होता रहा है विवाद

दलाई लामा का के उत्तराधिकारी का चुनाव वंश परंपरा या वोट के बजाय पुनर्जन्म के आधार पर तय होता है. कुछ मामलों में धर्मगुरु अपने 'अवतार' संबंधी कुछ संकेत छोड़ जाते हैं. धर्मगुरु की मौत के बाद इन संकेतों की मदद से ऐसे बच्चों की लिस्ट बनाई जाती है, इसमें सबसे ज्यादा जिस बात का ध्यान रखा जाता है, वो है ऐसे बच्चों की लिस्ट बनाये जो धर्मगुरु की मौत के 9 महीने बाद पैदा हुए हों. फिलहाल तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत में दलाईलामा सर्वोच्च गुरु और राजनेता हैं. वे बौद्ध धर्म के 14वें आध्यात्मिक गुरू हैं जो सभी का मार्गदर्शन करते हैं. आइये जानते हैं कैसे होता है दलाई लामा का चुनाव.

दलाई लामा का के उत्तराधिकारी का चुनाव वंश परंपरा या वोट के बजाय पुनर्जन्म के आधार पर तय होता है. कुछ मामलों में धर्मगुरु अपने ‘अवतार’ संबंधी कुछ संकेत छोड़ जाते हैं. धर्मगुरु की मौत के बाद इन संकेतों की मदद से ऐसे बच्चों की लिस्ट बनाई जाती है, इसमें सबसे ज्यादा जिस बात का ध्यान रखा जाता है, वो है ऐसे बच्चों की लिस्ट बनाये जो धर्मगुरु की मौत के 9 महीने बाद पैदा हुए हों. फिलहाल तेनजिन ग्यात्सो तिब्बत में दलाईलामा सर्वोच्च गुरु और राजनेता हैं. वे बौद्ध धर्म के 14वें आध्यात्मिक गुरू हैं जो सभी का मार्गदर्शन करते हैं. आइये जानते हैं कैसे होता है दलाई लामा का चुनाव.

देते हैं खास संकेत

दलाई लामा को जब यह लगता है कि उनका जीवनकाल खत्म होने होने वाला है, इससे पहले ही वो कुछ खास संकेत दे देते हैं. इन संकेतों के आधार पर अगले लामा गुरू की खोज की जाती है. इसके लिए एक ऐसे नवजात बच्चे की खोज की जाती है जिसे अगला धर्मगुरु बनाया जा सके. दिलचस्प बात यह है कि लामा के निधन के बाद यह खोज तुरंत बाद शुरू कर दी जाती है.

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कई बार लंबी चलती है खोज

बौद्ध धर्म के अनुयायी पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं इसलिए लामा के निधन के तुरंत बाद पैदा हुए बच्चों की खोज की जाती है. यह खोज कई बार लंबी चलती है. जब तक नये धर्मगुरु की खोज पूरी नहीं होती है तब तक कोई स्थाई विद्वान दलाई लामा का काम संभालता है. कई बार ऐसा होता है कि दिवंगत लामा द्वारा बताये गये लक्षण एक से ज्यादा बच्चों में भी दिखाई पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में उन बच्चों को लामा बनने के लिए कठिन शारीरिक और मानसिक परीक्षाएं ली जाती हैं. इस दौरान पूर्व लामा के व्यक्तिगत वस्तुओं की पहचान भी करायी जाती है.

पुरानी पंरपरा मानने से इनकार कर रहा चीन

चीन तिब्बत पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए यह चाहता है कि दलाई लामा का चुनाव वह करें. चीन का मानना है की पुर्नजन्म का सिद्धांत बिल्कुल ढकोसला और बकवास है. दलाई लामा वही होगा जिसे चीन की सरकार चुनेगी. वर्तमान दलाई लामा ने ‘गेधुन चोईकी नीमी’ नाम के एक बच्चे को पुर्नजन्म के नियमों के अनुसार पंचेन लामा नियुक्त किया था. परंतु चीनी सरकार के सिपाहियों ने 1995 में उसका अपहरण कर लिया. तब से आज तक इस बात का पता नहीं लगा है कि दलाई लामा द्वारा निर्वाचित पंचेन लामा आखिर कहा हैं. वहीं चीनी सरकार ने 1995 में एक अनजान लड़के को जिसका नाम ‘गसिन नोरबु’ है, तिब्बत का 11वां पंचेन लामा नियुक्त कर दिया। वह इन दिनों तिब्बत के ‘ताशिलहुनपो’ मठ में रह रहा है.

Posted By: Pawan Singh

Prabhat Khabar Digital Desk
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