27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

अवमानना केस : प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, मांगी यह इजाजत

नयी दिल्ली : वकील प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील का अधिकार प्रदान करने का अनुरोध करते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. न्यायपालिका के खिलाफ अवमानना वाले ट्वीट के लिए उन्हें दोषी करार दिया गया था और एक रुपये जुर्माने की सजा दी गयी थी. भूषण को 31 अगस्त को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में 15 सितंबर तक जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया गया था. आदेश का पालन नहीं करने पर तीन महीने जेल की सजा और तीन साल के लिए वकालत करने पर रोक लग जायेगी.

नयी दिल्ली : वकील प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील का अधिकार प्रदान करने का अनुरोध करते हुए शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. न्यायपालिका के खिलाफ अवमानना वाले ट्वीट के लिए उन्हें दोषी करार दिया गया था और एक रुपये जुर्माने की सजा दी गयी थी. भूषण को 31 अगस्त को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में 15 सितंबर तक जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया गया था. आदेश का पालन नहीं करने पर तीन महीने जेल की सजा और तीन साल के लिए वकालत करने पर रोक लग जायेगी.

वकील कामिनी जायसवाल के जरिए दाखिल नयी याचिका में उन्होंने अनुरोध किया है कि ‘इस अदालत द्वारा आपराधिक अवमानना के मामले में याचिकाकर्ता समेत दोषी व्यक्ति को बृहद और अलग पीठ में अपील करने का अधिकार’ प्रदान करने का निर्णय किया जाए. भूषण ने याचिका में आपराधिक अवमानना मामले में प्रक्रियागत बदलाव का सुझाव देते हुए ‘एकतरफा, रोषपूर्ण और दूसरे की भावनाओं पर विचार किये बिना किये गये फैसले’ की आशंका को दूर करने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा है कि ऐसे मामलों में शीर्ष न्यायालय एक पक्ष होने के साथ ‘अभियोजक, गवाह और न्यायाधीश’ भी होता है इसलिए पक्षपात की आशंका पैदा होती है. याचिका में कहा गया है कि संविधान के तहत अपील करने का हक एक मौलिक अधिकार है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भी यह प्रदत्त है. इसलिए यह ‘गलत तरीके से दोषसिद्धि के खिलाफ रक्षा प्रदान करेगा.’

Also Read: प्रशांत भूषण का आरोप, न्यायालय की अवमानना की शक्ति का कभी – कभी दुरूपयोग किया जाता है

याचिका में ‘आपराधिक अवमानना के मूल मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील का मौका देने के लिए’ नियमों और दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तय करने को लेकर भी अनुरोध किया गया है. मौजूदा वैधानिक व्यवस्था के मुताबिक, आपराधिक मामलों में दोषी करार दिये गये व्यक्ति को फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का अधिकार है और आम तौर पर चैंबर के भीतर याचिका पर सुनवाई होती है और इसमें दोषी व्यक्ति को नहीं सुना जाता है.

भूषण ने कहा है कि उनकी याचिका संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (वाक और अभिव्यक्ति की आजादी) और 21 (जीवन का अधिकार) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर अमल के लिए दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि अवमानना के मूल मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक हक है और स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों से यह निकला है. इस तरह का अधिकार नहीं होना जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. अपने ट्वीट के लिए दर्ज अवमानना मामले के अलावा भूषण 2009 के एक अन्य अवमानना मामले का भी सामना कर रहे हैं.

Posted By: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें