नई दिल्ली : स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के नाम पर देश में एक बार फिर सियासी माहौल गर्म है. उन्हें भारत रत्न दिए जाने के नाम पर पक्ष-विपक्ष में घमासान मचा हुआ है. हालांकि, 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के समय पर वीर सावरकर का मामला गरमाया था और कांग्रेस लगातार वार कर रही थी, लेकिन ‘भारत की दुर्गा’ कही जाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की चिट्ठी सामने आने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. अब जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सिर पर है और देश में वीर सावरकर का मामला फिर से गरमाया हुआ है, तो क्या इंदिरा गांधी की चिट्ठी के नाम पर कांग्रेस एक बार फिर बैकफुट पर आएगी.
मीडिया की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 21वीं सदी के 21वें साल में भले ही वीर सावरकर के नाम पर कांग्रेस दोबारा मुखर हो रही है, लेकिन अतीत में वह सावरकर के सम्मान में कशीदे गढ़ चुकी है. वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के एक ट्वीट का हवाला देते हुए रिपोर्ट में लिखा गया है कि 20 मई 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की लिखी एक चिट्ठी थी. इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर की तारीफ की थी.
#IndiraGandhi ,as Prime Minister, praises Veer Sarvarkar in writing. pic.twitter.com/PRHLHGCyII
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) October 17, 2019
इतना ही नहीं, भाजपा नेता अमित मालवीय के दावे के हवाले से एक हिंदी अखबार की वेबसाइट की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि इंदिरा गांधी ने सावरकर के सम्मान में डाक टिकट जारी करने के अलावा अपने निजी खाते से सावरकर ट्रस्ट को 11 हजार रुपये दान किए थे. दावे के आधार पर रिपोर्ट के अनुसार, इंदिरा गांधी ने फिल्म्स डिवीजन को ‘महान स्वतंत्रता सेनानी’ पर डॉक्युमेट्री बनाने का निर्देश भी दिया था और इसे उन्होंने खुद ही क्लीयर भी किया था.
Also Read: वीर सावरकर को लेकर छिड़ा विवाद, ओवैसी ने की टिप्पणी, कहा- महात्मा गांधी की जगह सावरकर को बना देंगे राष्ट्रपिताबता दें कि देश में सावरकर के नाम सियासी माहौल तब गरमा गया, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में यह कहा कि महात्मा गांधी के कहने पर वीर सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दया याचिका दायर की थी. जिस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने यह बयान दिया, वहां पर आरएसएस के चीफ मोहन भागवत भी मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर सावरकर को बदनाम करने के लिए एक सोची-समझी साजिश के तहत मुहिम चलाई जा रही है. उनके इस बयान के बाद कांग्रेस और वामदल समेत तमाम विपक्षी पार्टियां भाजपा पर हमलावर हो गईं.