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Congress: मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में जल्दबाजी पर कांग्रेस ने उठाया सवाल

कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने का फैसला संविधान सम्मत नहीं है.

Congress: देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में जल्दबाजी करने के सरकार के फैसले पर एक बार फिर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने का फैसला संविधान सम्मत नहीं है. कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्त और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है और मामले की सुनवाई बुधवार को होनी है. ऐसे में सुनवाई से पहले सरकार को चुनाव आयोग के चयन को लेकर होने वाली बैठक को स्थगित करना चाहिए.

वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संबंधी नये कानून के तहत  प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष चयन समिति के सदस्य है. लेकिन इसमें कई संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को दिए फैसले में साफ किया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की समिति होनी चाहिए. लेकिन सरकार द्वारा बनायी समिति से मुख्य न्यायाधीश को बाहर कर दिया गया है. 


चुनाव आयोग की निष्पक्षता समय की मांग


सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ कहा गया है कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ कार्यपालिका द्वारा सुनिश्चित होगी तो इससे आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकता है. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त रखे जाने की बात कही है. सिंघवी ने कहा कि मौजूदा चयन प्रक्रिया में सरकार का पलड़ा भारी है और यह सुप्रीम कोर्ट की भावना के खिलाफ है. सरकार का मकसद ऐसा चुनाव आयुक्त नियुक्त करना है जो सरकार के फैसले का विरोध नहीं कर सके. आखिर क्या कारण है कि सरकार चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश को बाहर रखना चाहती है. 


गौरतलब है कि सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री आवास पर चयन समिति की बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हुए थे. राहुल गांधी ने बैठक में नियुक्ति को लेकर डिसेंट नोट दिया था. लेकिन सरकार ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी. सरकार के इस फैसले का विपक्ष और कांग्रेस लगातार विरोध कर रहे हैं. 

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