Chhannulal Mishra : ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को निधन हो गया. वह पिछले काफी दिनों से बीमार थे और मिर्जापुर में अपनी सबसे छोटी बेटी के परिवार के साथ रहते थे. कथक को करियर बनाने वाले आशीष सिंह ने छन्नूलाल मिश्र के साथ बिताए कुछ पल को याद किया. उन्होंने कहा कि आज काशी के संगीत परंपरा में एक और दीपक बुझ गया.
आशीष ने कहा, ‘’मैं अपने आप को परम सौभाग्यशाली मानता हूं, जो हमें (काशी) वाराणसी में आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित समारोह ” संकट मोचन संगीत समारोह 2012 में अपनी नृत्य प्रस्तुति देने का अवसर प्राप्त हुआ. इसमें मेरी कथक नृत्य की प्रस्तुति के बाद ही पंडित जी की प्रस्तुति थी. इस पल को याद करते हुए आशीष ने कहा, पंडित जी ने अपने गायन से पूरे मंदिर प्रांगण में भक्ति की सरिता बहा दी थी. वहां मौजूद लोग हनुमान जी, राम जी के जयकारे से उनका उत्साह वर्धन कर रहे थे.’’
गीत से सबको मंत्र मुग्ध कर देते थे पंडित जी
आशीष ने कहा, ‘’ काशी अपनी भारतीय संस्कृति को आध्यात्मिक रूप से समेटे हुए है. यहां दूर–दूर से लोग आकर संगीत की शिक्षा लेते हैं और मां गंगा के घाट पर अपनी साधना करते हैं. यहां लोग गुरु के बताए गए नियमों के साथ चलते हैं, जिससे संगीत के साथ–साथ विद्यार्थी का आध्यात्मिक विकास भी हो. उसी गुरु परंपरा के पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्रा जी आज हम सब को छोड़ कर चले गए. यह संगीत जगत में बहुत बड़ी क्षति है. अध्यात्म और संगीत का सम्पूर्ण समावेश पंडित जी के गायिकी में सुनाई देती थी. वे ठुमरी, दादरा, चैती, सोहर, विवाह गीतों को इतने सुंदर ढंग से पिरोते की दर्शक मंत्र मुग्ध हो जाते.
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आशीष ने बताया कि काशी में अपनी कथक नृत्य प्रस्तुति के दौरान उन्हें पंडित छन्नूलाल मिश्र जी से कई बार मिलने का अवसर मिला. मृदुभाषी और व्यक्तित्व में धनी पंडित जी हमेशा अपनी भक्तिमय संगीत शैली से संगीत की सेवा करते रहते थे. वे गुरु के सानिध्य में रहना और प्रभु के चरणों में अपनी हाजिरी देना अत्यंत प्रिय मानते थे. साथ ही, वे गुरु का नाम पूछते और उनके बारे में बताना भी अपना कर्तव्य समझते थे. वे कहते थे कि काशी की संगीत परंपरा अत्यंत बृहद और विकसित है. यह परंपरा अब देश-विदेश तक फैल चुकी है. वे युवाओं को लगातार प्रोत्साहित करते रहते थे कि वे अपनी भारतीय संस्कृति, शास्त्रीय संगीत, गायन, वादन और नृत्य की परंपरा को आगे बढ़ाते रहें.
मणिकर्णिका घाट पर छन्नूलाल मिश्र का किया गया अंतिम संस्कार
गुरुवार शाम वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार किया गया. मुखाग्नि उनके पोते (रामकुमार मिश्र के बेटे) द्वारा दी गई. इससे पहले, दोपहर में उनका पार्थिव शरीर वाराणसी में छोटी गैबी में उनके आवास पर लाया गया था. यहां कई लोगों ने पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित की.
आजमगढ़ में जन्मे मिश्र हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के थे दिग्गज
संगीत सम्राट के नाम से विख्यात ‘पद्य विभूषण’ पंडित छन्नूलाल मिश्र के परिवार में तीन बेटियां और एक बेटा है. उनकी पत्नी का चार वर्ष पूर्व देहांत हो गया था. उनके पुत्र रामकुमार मिश्र भी जाने माने तबला वादक हैं. साल 1936 में आजमगढ़ में जन्मे मिश्र हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज थे. उन्होंने ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन जैसी शैलियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें 2020 में पद्म विभूषण और 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

