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Caste Census Politics: जातिगत जनगणना का श्रेय लेने को लेकर भाजपा और कांग्रेस में सियासी घमासान तेज

मोदी सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले का लाभ भाजपा को मिलना तय है. क्योंकि वर्ष 1931 के बाद पहली बार देश में जातिगत जनगणना होगी. केंद्र के इस फैसले से विपक्ष की जाति आधारित राजनीति को गहरा झटका लग सकता है.

Caste Census Politics: देश में जातिगत जनगणना की मांग कई दलों की ओर से काफी अरसे की जाती रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया. अन्य विपक्षी दल जैसे राजद, सपा, बसपा, डीएमके जैसे दलों ने भी जातिगत जनगणना कराने की मांग का पुरजोर समर्थन किया. हालांकि केंद्र की भाजपा सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की मांग का खुलकर विरोध तो नहीं किया, लेकिन समर्थन भी नहीं किया.  जिसके कारण लोकसभा चुनाव में विपक्ष को इस मुद्दे का सियासी लाभ भी मिला. 


लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ओर इसे प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश की गयी. लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसा लगने लगा कि जातिगत जनगणना का मुद्दा अब आम लोगों को प्रभावित नहीं कर रहा है. हालांकि हार के बावजूद राहुल गांधी इस मुद्दे को उठाते रहे. इसी बीच पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच केंद्रीय कैबिनेट के जातिगत जनगणना कराने के फैसले से विपक्ष हैरान रह गया.

भले ही विपक्षी दल इसे अपनी जीत के तौर पर पेश करने में जुटे रहे. लेकिन सरकार के इस फैसले से विपक्ष के हाथ से एक प्रमुख मुद्दा छिन गया. रविवार को एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जातिगत जनगणना कराने के फैसले का जिक्र करते हुए इसे एनडीए सरकार की उपलब्धि बताया था. 


विपक्ष के दबाव में केंद्र ने लिया जातिगत जनगणना कराने का फैसला


कांग्रेस ने जाति जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्रेय लेने की कोशिश की कड़ी आलोचना की. पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार हमेशा जातिगत जनगणना कराने का विरोध करते रहे. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने जातिगत जनगणना को लेकर पूर्व में दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के विषय में कहा कि प्रधानमंत्री  ने जाति जनगणना की पैरोकारी करने वालों को समाज को बांटने वाला और अर्बन नक्सल की सोच वाला कहा था. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से उपजे तनाव के बीच 30 अप्रैल को अचानक जाति जनगणना कराने का फैसला लिया गया.

अब प्रधानमंत्री इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं. गौरतलब है कि मोदी सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले का लाभ भाजपा को मिलना तय है. क्योंकि वर्ष 1931 के बाद पहली बार देश में जातिगत जनगणना होगी. केंद्र के इस फैसले से विपक्ष की जाति आधारित राजनीति को गहरा झटका लग सकता है.

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