CAPF: केंद्रीय अर्धसैनिक बल और असम राइफल के अधिकारी पद से नीचे काम करने वाले कर्मियों को केंद्र सरकार ने बड़ी सौगात दी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और असम राइफल्स के अधिकारी पद से नीचे के कार्मिकों को सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन एक पद ऊपर मानद पद (ऑनरेरी रैंक) देने का निर्णय लिया है. इस फैसले का मकसद सिपाही से उप निरीक्षक तक के पद से सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों में आत्म-सम्मान, गर्व की भावना और मनोबल बढ़ाने के लिए लिया गया है.
इसके तहत केंद्रीय अर्धसैनिक बल और असम राइफल्स में लंबे समय तक प्रशंसनीय सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी पद से नीचे (सिपाही से उप निरीक्षक तक) के कार्मिकों को सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन बिना किसी वित्तीय या पेंशन लाभ के एक पद ऊपर मानद पद मिलेगा. जैसे कोई कांस्टेबल है तो उसे हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल को सहायक उपनिरीक्षक, सहायक उपनिरीक्षक को उप निरीक्षक, उप निरीक्षक को निरीक्षक, राइफलमैन को हवलदार, हवलदार को वारंट अधिकारी, वारंट अधिकारी को नायब सूबेदार और नायब सूबेदार को सूबेदार का रैंक प्रदान किया जायेगा.
क्या होंगे नियम और पात्रता
इसके लिए कर्मी को सेवानिवृत्ति के समय सभी पदोन्नति मानदंडों को पूरा करना होगा. कर्मी का अच्छा और स्वच्छ सेवा रिकॉर्ड होना, कर्मी के अंतिम 5 वर्षों का मूल्यांकन कम से कम ‘अच्छा’ होना, कर्मी को पिछले 5 वर्षों में कोई बड़ी सजा नहीं मिली हो, सत्यनिष्ठा संदेह से परे होनी चाहिए. साथ ही मानद पद हासिल करने के लिए संबंधित कमांडिंग अधिकारी की सिफारिश होनी चाहिए. कर्मी को सेवानिवृत्ति के दिन मानद पद प्रदान किया जाएगा और इसके लिए कोई वित्तीय या पेंशन लाभ नहीं मिलेगा. गौरतलब है कि पिछले साल सीआरपीएफ के निदेशक अनीस दयाल ने सीआरपीएफ में सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक अपनी रिटायरमेंट से तीस दिन पहले अपने कंधे पर अगला रैंक लगाने का वादा किया था.
बाद में इस योजना को अन्य केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में लागू करने पर भी विचार किया गया. इसका मकसद उन जवानों का हौसला बढ़ाना था, जो किन्हीं कारणों से पदोन्नति नहीं ले पाए. किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियमित सेवा में 10, 20, या 30 साल काम करने के बाद अगले उच्च ग्रेड वेतन और अन्य सुविधाएं मिलती है. लेकिन अर्धसैनिक बलों में वैकेंसी बेस्ड पदोन्नति मिलती है, ऐसे में बहुत से कार्मिक ऐसे होते हैं, जिन्हें 10, 20, या 30 साल काम करने के बाद भी बड़ा पद हासिल नहीं हो पाता है. हालांकि उन्हें आर्थिक लाभ मिल जाता है. ऐसे कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया गया है.