BJP: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ(डूसू) चुनाव की घोषणा हो चुकी है. डूसू का चुनाव 18 सितंबर को होगा और मतगणना 19 सितंबर को होगी. डूसू चुनाव को लेकर पिछले साल काफी विवाद हुआ था. हाईकोर्ट ने छात्र संघ चुनाव में धनबल के बढ़ते प्रयोग पर चिंता जाहिर की थी. इस बार डीयू प्रशासन की ओर से सख्ती बरती जा रही है. चुनाव लड़ने के इच्छुक छात्र को एक लाख रुपये का बांड भरना होगा और नियमों की अनदेखी करने पर यह बांड जब्त कर लिया जाएगा.
वैसे तो डूसू का चुनाव मुख्य तौर पर एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच होता है. वाम दल के छात्र संगठन भी चुनाव लड़ते है. लेकिन दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी एक बार फिर डूसू चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके लिए आम आदमी पार्टी ने एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (एएसएपी) छात्र संघ का गठन किया है. पार्टी की ओर से योग्य प्रत्याशियों के चुनाव के लिए आवेदन मांगे गए हैं.
आप के इस फैसले पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रीलॉन्चिंग और रीपैकेजिंग के शातिर खिलाड़ी है. दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद खुद को स्थापित करने के लिए वे हर तरह की कवायद कर रहे हैं. लेकिन आम आदमी कितनी भी कोशिश करें, छात्रों के बीच पैठ नहीं बना पाएगी. दिल्ली की सत्ता में आने के बाद भी आम आदमी पार्टी ने छात्र संघ का गठन किया था, लेकिन डूसू चुनाव में कोई कामयाबी नहीं मिल पायी.
नाम बदलने से नहीं बदलेंगे हालात
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आम आदमी पार्टी वर्ष 2015-फरवरी 2025 तक बड़े बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही. आम आदमी पार्टी ने छात्र संघ का गठन किया, लेकिन डीयू के किसी कॉलेज में खाता तक नहीं खोल सकी. उसके बाद आप का छात्र संघ डूसू चुनाव से दूर हो गया. अब दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद पार्टी नये नाम से छात्र संघ का गठन किया है. लेकिन जो पार्टी दिल्ली की सत्ता पर वैकल्पिक राजनीति के नाम पर काबिज हुई, वह भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गयी और लोगों ने इस वैकल्पिक राजनीति को खारिज कर दिया. ऐसे में आम आदमी पार्टी के छात्र विंग की वैकल्पिक राजनीति करने के दावे को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं है. नाम बदलने से हालात नहीं बदलेंगे.
गौरतलब है कि शुक्रवार को आप के दिल्ली संयोजक सौरव भारद्वाज ने कहा कि पार्टी का छात्र संगठन डूसू चुनाव लड़ने वाले छात्रों की मदद करेगा. पैसे की कमी और अन्य संसाधन के कारण कोई सामान्य परिवार का योग्य छात्र चुनाव लड़ने का इच्छुक होगा तो पार्टी छात्र संगठन उसे हर तरह की मदद मुहैया कराने का काम करेगा. छात्र राजनीति में बदलाव लाने के लिए यह फैसला लिया गया है.

