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Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु में भीषण जल संकट, 6900 बोरवेल फेल, सीएम ने की बड़ी बैठक

Bengaluru Water Crisis: गर्मी की शुरुआत होते ही बेंगलुरु में भीषण जल संकट की स्थिति बन गई है. पेयजल के लिए लोगों को टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. यहां तक पानी की समस्या को देखते हुए लोग एक दिन छोड़कर एक दिन स्नान कर रहे हैं. इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कई विभागों के साथ बड़ी बैठक की है.

Bengaluru Water Crisis: बेंगलुरु जल संकट पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, आज मेरी BWSSB, BBMP और ऊर्जा विभाग के साथ बैठक हुई. बेंगलुरु में 14,000 बोरवेल में से 6900 सूखे हैं. सभी झीलें लगभग सूख चुकी हैं. बेंगलुरु के लिए हर दिन 2600 MLD पानी की आवश्यकता होती है…जून में हम बेंगलुरु के आसपास के सभी 110 गांवों को पानी उपलब्ध कराएंगे. काबिनी और KRS बांध में हमारे पास पर्याप्त पानी है. हमें जून के पहले या दूसरे सप्ताह में मानसून की उम्मीद है.

सीएम सिद्धारमैया ने लोगों से की ऐसी अपील

बेंगलुरु जल संकट पर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, मैंने अपने अधिकारियों से कहा है कि पानी उपलब्ध कराने के लिए पानी के टैंकरों का उपयोग करें. हमारे पास 142 नियंत्रण कक्ष हैं. मैंने उनसे इसे बढ़ाने के लिए कहा है – समस्या कहां है इसकी पहचान करने के लिए, पानी की आपूर्ति करने के लिए और शिकायत पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए निर्देश दिया है. सीएम सिद्धारमैया ने लोगों को सलाह दी है कि वाहन की सफाई और अन्य समस्याओं के लिए, कृपया पीने के पानी का उपयोग न करें. उन्होंने पुनर्चक्रित पानी का उपयोग करने की सलाह दी है.

पानी की समस्या से निजात के लिए कई तरीके अपना रहे लोग

बेंगलुरु में भीषण जल संकट से निपटने के लिए वहां के नागरिक घर से ही काम करने से लेकर एक दिन छोड़कर एक दिन स्नान करने, सप्ताह में दो दिन बाहर से भोजन मंगाने, डिस्पोजेबल बर्तनों का प्रयोग करने जैसे तमाम इनोवेशन कर रहे हैं.

बेंगलुरु के इन इलाकों में भीषण जल संकट

जल संकट बेंगलुरुवासियों विशेषकर व्हाइटफील्ड, केआर पुरम, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, आरआर नगर, केंगेरी और सीवी रमन नगर में रहने वाले लोगों के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गया है. जल संचयन सुविधाओं वाले ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी अब पेयजल के लिए पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं. ऐसे में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.

जल संकट को देखते हुए स्कूल में भी कर दी गई छुट्टी

बेंगलुरु में स्थित भोजनालय पानी के अधिक उपयोग से बचने के लिए डिस्पोजेबल कप, गिलास और प्लेटों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं. बेंगलुरु में गहराए जल सकंट को लेकर कई विद्यालय और बिल्डिंग एसोसिएशन ‘बारिश नहीं तो पानी नहीं’, ‘हर जगह पानी ही पानी लेकिन पीने के लिए एक बूंद भी नहीं’, ‘पानी का संरक्षण करें’ जैसे कई तरह से पोस्टरों के माध्यम से इस विषय पर अपनी बात रख रहे हैं. जल संकट के कारण शहर के एक कोचिंग सेंटर ने हाल में अपने छात्रों को एक सप्ताह के लिए ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए कहा है. इसी तरह बन्नेरघट्टा रोड पर एक विद्यालय भी बंद कर दिया गया उन्होंने भी छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए कहा है, जैसा कि वे कोविड महामारी के दौरान करते थे.

एक दिन छोड़कर एक दिन स्नान कर रहे लोग

केआर पुरम में रह रहे कुछ निवासी वैकल्पिक दिनों में स्नान कर रहे हैं, घर पर खाना पकाने के बजाय सप्ताह में दो बार खाना ऑर्डर कर रहे हैं और अपने किरायेदारों पर पानी के उपयोग पर कई तरह की पाबंदी लगायी गयी है. लोगों का कहना है कि उन्हें टैंकर के पानी के लिए अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि सरकार ने दरें तय कर दी हैं.

जल संकट से निपटने के लिए सरकार कर रही उपाय

सरकार स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है. नगर निगम के अधिकारियों ने शहर के भूजल स्रोतों में फिर से पानी आने के उद्देश्य से सूखे जलाशयों को प्रति दिन 1,30 करोड़ लीटर शोधित पानी से भरने का फैसला किया है, जहां लगभग 50 प्रतिशत बोरवेल सूख गए हैं.

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